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शुक्रवार, 22 मई 2015

संत वाणी - ब्लॉग बुलेटिन

प्रिय ब्लॉगर मित्रों,
प्रणाम !
 आज फेसबुक पर श्री अनुपम चतुर्वेदी जी ने एक बेहद शिक्षापद  कथा सांझा की ... लीजिये आप भी पढ़िये |

एक आदमी राजस्थान के किसी शहर में रहता था . वह ग्रेजुएट था और एक प्राइवेट कंपनी में जॉब करता था .
पर वो अपनी ज़िन्दगी से खुश नहीं था , हर समय वो किसी न किसी समस्या से परेशान रहता था और उसी के बारे में सोचता रहता था .
एक बार शहर से कुछ दूरी पर एक एक महात्मा का काफिला रुका हुआ था . शहर में चारों और उन्ही की चर्चा थी ,
बहुत से लोग अपनी समस्याएं लेकर उनके पास पहुँचने लगे ,
उस आदमी को भी इस बारे में पता चला, और उसने भी महात्मा के दर्शन करने का निश्चय किया .
छुट्टी के दिन सुबह -सुबह ही उनके काफिले तक पहुंचा .
वहां सैकड़ों लोगों की भीड़ जुटी हुई थी , बहुत इंतज़ार के बाद उसका का नंबर आया .
वह बाबा से बोला ,” बाबा , मैं अपने जीवन से बहुत दुखी हूँ ,
हर समय समस्याएं मुझे घेरी रहती हैं , कभी ऑफिस की टेंशन रहती है ,
तो कभी घर पर अनबन हो जाती है , और कभी अपने सेहत को लेकर परेशान रहता हूँ ….
बाबा कोई ऐसा उपाय बताइये कि मेरे जीवन से सभी समस्याएं ख़त्म हो जाएं और मैं चैन से जी सकूँ ?
बाबा मुस्कुराये और बोले , “ पुत्र , आज बहुत देर हो गयी है मैं तुम्हारे प्रश्न का उत्तर कल सुबह दूंगा …
लेकिन क्या तुम मेरा एक छोटा सा काम करोगे …?”
“ज़रूर करूँगा ..”, वो आदमी उत्साह के साथ बोला .
“देखो बेटा , हमारे काफिले में सौ ऊंट  हैं ,
और इनकी देखभाल करने वाला आज बीमार पड़ गया है , मैं चाहता हूँ कि आज रात तुम इनका खयाल रखो …
और जब सौ के सौ ऊंट  बैठ जाएं तो तुम भी सो जाना …”,
ऐसा कहते हुए महात्मा अपने तम्बू में चले गए ..
अगली सुबह महात्मा उस आदमी से मिले और पुछा , “ कहो बेटा , नींद अच्छी आई .”
“कहाँ बाबा , मैं तो एक पल भी नहीं सो पाया , मैंने बहुत कोशिश की पर मैं सभी ऊंटों को नहीं बैठा पाया ,
कोई न कोई ऊंट  खड़ा हो ही जाता …!!!”, वो दुखी होते हुए बोला .”
“ मैं जानता था यही होगा …
आज तक कभी ऐसा नहीं हुआ है कि ये सारे ऊंट एक साथ बैठ जाएं …!!!”,
“ बाबा बोले .
आदमी नाराज़गी के स्वर में बोला , “ तो फिर आपने मुझे ऐसा करने को क्यों कहा ”
बाबा बोले , “ बेटा , कल रात तुमने क्या अनुभव किया ,
यही ना कि चाहे कितनी भी कोशिश कर लो सारे ऊंट एक साथ नहीं बैठ सकते …
तुम एक को बैठाओगे तो कहीं और कोई दूसरा खड़ा हो जाएगा
इसी तरह तुम एक समस्या का समाधान करोगे तो किसी कारणवश दूसरी खड़ी हो जाएगी ..
पुत्र जब तक जीवन है ये समस्याएं तो बनी ही रहती हैं … कभी कम तो कभी ज्यादा ….”
“तो हमें क्या करना चाहिए ?” , आदमी ने जिज्ञासावश पुछा .
“इन समस्याओं के बावजूद जीवन का आनंद लेना सीखो …
कल रात क्या हुआ , कई ऊंट रात होते -होते खुद ही बैठ गए ,
कई तुमने अपने प्रयास से बैठा दिए , पर बहुत से ऊंट तुम्हारे प्रयास के बाद भी नहीं बैठे …
और जब बाद में तुमने देखा तो पाया कि तुम्हारे जाने के बाद उनमे से कुछ खुद ही बैठ गए ….
कुछ समझे ….
"समस्याएं भी ऐसी ही होती हैं , कुछ तो अपने आप ही ख़त्म हो जाती हैं ,
कुछ को तुम अपने प्रयास से हल कर लेते हो …
और कुछ तुम्हारे बहुत कोशिश करने पर भी हल नहीं होतीं ,
ऐसी समस्याओं को समय पर छोड़ दो …
उचित समय पर वे खुद ही ख़त्म हो जाती हैं ….
और जैसा कि मैंने पहले कहा … जीवन है
तो कुछ समस्याएं रहेंगी ही रहेंगी ….
पर इसका ये मतलब नहीं की तुम दिन रात उन्ही के बारे में सोचते रहो …
ऐसा होता तो ऊंटों की देखभाल करने वाला कभी सो नहीं पाता….
समस्याओं को एक तरफ रखो और जीवन का आनंद लो…
चैन की नींद सो … जब उनका समय आएगा वो खुद ही हल हो जाएँगी"...

सादर आपका

कोई नादिर, कोई चंगेज़...

====================
अब आज्ञा दीजिये ...

जय हिन्द !!!

8 टिप्पणियाँ:

सुशील कुमार जोशी ने कहा…

एक सुंदर कहानी के साथ सुंदर सूत्रों से सजा आज का बुलेटिन ।

राजीव कुमार झा ने कहा…

सुंदर और प्रेरक कहानी से बुलेटिन की शुरुआत अच्छी लगी.
मुझे भी शामिल करने पर आभार !

Sadhana Vaid ने कहा…

बहुत सुन्दर सूत्र ! चींटी और चील को इसमें सम्मिलित करने के लिये बहुत-बहुत धन्यवाद एवं आभार !

dj ने कहा…

सार्थक कहानी और बढ़िया सूत्रों से सजा ब्लॉग बुलेटिन

Preeti 'Agyaat' ने कहा…

प्रेरक कहानी, उम्दा लिंक्स...आभार, मुझे शामिल करने के लिए !

Asha Lata Saxena ने कहा…

कहानी बहुत अच्छी लगी |उम्दा सूत्र संयोजन |
मेरी रचना को स्थान दिया बहुत बहुत धन्यवाद शिवम् मिश्रा जी |

कविता रावत ने कहा…

बहुत बढ़िया बुलेटिन प्रस्तुति
आभार!

शिवम् मिश्रा ने कहा…

आप सब का बहुत बहुत आभार |

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