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शुक्रवार, 17 अक्तूबर 2014

अवलोकन 2014 (12)




किसी याचक को द्वार से लौटाना सही नहीं है 
और यह एक सामान्य सीख है 
पर याचक वह हो 
जिसने जीवन की शांति को मटियामेट कर दिया हो 
उसके लिए यह सीख एक मखौल है  … 



एहसासों की खिड़कियाँ ...

सीमा सिंघल http://sadalikhna.blogspot.in/

बड़ी तीक्ष्‍ण होती है
स्‍मृतियों की
स्‍मरण शक्ति
समेटकर चलती हैं
पूरा लाव-लश्‍कर अपना
कहीं‍ हिचकियों से
हिला देती हैं अन्‍तर्मन को
तो कहीं खोल देती हैं
दबे पाँव एहसासों की खिड़कियाँ
जहाँ से आकर 
ठंडी हवा का झौंका
कभी भिगो जाता है मन को
तो कभी पलकों को
नम कर जाता है 
...
कुछ रिश्‍तों को
कसौटियों पर
परखा नहीं जाता
इन्‍हें निभाया जाता है
बस दिल से
स्‍मृतियों को कभी
जगह नहीं देनी पड़ती
ये खुद-ब-खुद
अपनी जगह बना लेती हैं
एक बार जगह बन जाये तो
फिर रहती है अमिट
सदा के लिए


काश, कभी सच हो पाता मेरा ये सपना

नित्यानंद गायेन http://merisamvedana.blogspot.in/

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दिनभर की थकान के बाद 
जब घुसता हूँ 
अपने दस -बाई -दस के कमरे में 
फिर मांजता हूँ बर्तन 
और गूंथने लगता हूँ आटा 
सोचता हूँ 
रोटी के बारे में 
तब यादे आते हैं कई चेहरे 
जिन्हें देखा था खोदते हुए सड़क 
या रंगते हुए आलिशान भवन 
तब और भी बढ़ जाती है
मेरी थकान
और मैं सोचता हूँ
उनकी रोटी के बारे में

जी चाहता है
बुला लूं एक रोज उन सबको
और अपने हाथों से बना कर खिलाऊ
गरम -गरम रोटियां

काश, कभी सच हो पाता मेरा ये सपना
उस  दिन मैं सबसे खुश होता इस देश में .


''सर्वकालिक विद्वता''

शिखा कौशिक 'नूतन' http://shikhakaushik666.blogspot.in/

''अंत ''
हाँ इस जीवन का अंत
निश्चित ,निःसंदेह होना ही है !
फिर भी
सुखों की लालसा में दूसरों को दुःख देना ,
अपने और अपने ही हित को देखना ,
 मैं तो अमर हूँ ये सोचना ,
 मृत्यु को धोखा देता ही रहूंगा !
दुसरे के विपदामयी जीवन पर मुस्कुराना !
मूर्खता है ,
कभी
गरीब को दुत्कारना ,
लोभवश अमीर को पुचकारना  ,
उनके साथ बैठकर गर्व का अनुभव करना ,
माया का जाल है !
तो
अब ये सोचो कैसे प्रभु के प्रिय बने ?
कैसे अपने ह्रदय में सिर्फ उनको धरें ?
ह्रदय में उनकी भक्ति बसाएं ,
उनकी भांति पूरे विश्व के प्रति ह्रदय में सद्भाव लाएं ?
ये ही विद्वता है
हाँ ! सर्वकालिक विद्वता !

6 टिप्पणियाँ:

सुशील कुमार जोशी ने कहा…

वाह एक और सुंदर अवलोकन एक और कड़ी जुड़ गई एक सुंदर फूलों के गुलदस्ते में ।

कविता रावत ने कहा…

बहुत बढ़िया बुलेटिन प्रस्तुति ...

Darshan jangra ने कहा…

बहुत सुंदर
आज हिंदी ब्लॉग समूह फिर से चालू हो गया आप सभी से विनती है की कृपया आप सभी पधारें

शनिवार- 18/10/2014 नेत्रदान करना क्यों जरूरी है
हिंदी ब्लॉग समूह चर्चा-अंकः35

vandana gupta ने कहा…

tiino rachanayein shandar

Unknown ने कहा…

सारी रचनाये एक से बढकर एक है...,सभी लेखक/लेखिकाओ को बहुत बहुत बधाई....

सदा ने कहा…

बेहतरीन लिंक्स संयोजन एवं प्रस्तुति ....
सादर आभार

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