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सोमवार, 9 जून 2014

पेड़ों के दर्द को क्यों नही समझते हम - ब्लॉग बुलेटिन

प्रिय ब्लॉगर मित्रों,
प्रणाम |

आज फेसबुक पर हमारे बड़े भाई श्री अनुपम चतुर्वेदी जी की वाल पर एक बेहद उम्दा कविता और उस से मेल खाता हुआ एक बेहद सार्थक चित्र मिला ... तो सोच आप सब को भी दिखाया / पढ़ाया जाए |

 पेड़ों के दर्द को क्यों नही समझते हम

पेड़ों के दर्द को क्यों नही समझते हम
पेड़ों के दर्द को कम क्यों नही करते हम
एक पेड़ तुम भी लगाओ
एक पेड़ हम भी लगाएं
जिस बंजर भूमि पर है मायूसी
हर उस कोने में हरियाली लाएं
कस्में तो खा लेते है हम सब
पर उन कस्मों पर क्यों नही चलते हम
पेड़ों के दर्द को क्यों नही समझते हम...............
पेड़ लगाएंगे तो फल भी खाएंगे
लकड़ियाँ तो मिलेंगी ही, छाया भी पाएंगे
जब-जब ये बारिश आएगी
पेड़ों के गीत सुनाएगी
पेड़ों में भी तो जीवन है
फिर पेड़ काटते वक़्त क्यों नही डरते हम
पेड़ों के दर्द को क्यों नही समझते हम...............
हरा-भरा रहेगा आँगन अपना
पेड़ों संग ही जुड़ा है जीवन अपना
पेड़ों को काटने वालो कुछ तो शर्म करो
अपने पत्थर दिल को थोडा सा नर्म करो
सब को पता है पेड़ ही तो जीवन है
फिर मोम की तरह क्यों नही पिघलते हम
पेड़ों के दर्द को क्यों नही समझते हम...............
पेड़ों के दर्द को कम क्यों नही करते हम !!

सादर आपका
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13 टिप्पणियाँ:

ANULATA RAJ NAIR ने कहा…


पेड़ों का दर्द समझते तो गर्मियां इतनी दर्दनाक न गुज़रतीं....
अच्छा बुलेटिन है....

सस्नेह
अनु

कविता रावत ने कहा…

मर्मस्पर्शी रचना के साथ सुन्दर बुलेटिन प्रस्तुति ..आभार

Unknown ने कहा…

मेरी पोस्ट को शामिल करने के लिए आभार!

सुशील कुमार जोशी ने कहा…

हमेशा की तरह बहुत सुंदर बुलेटिन ।

Shahid Ajnabi ने कहा…

महोदय,
आपका बहुत-बहुत शुक्रिया ....मेरी पोस्ट शामिल करने के लिए

आपका
शाहिद अजनबी

shalini rastogi ने कहा…

सुन्दर ब्लॉग प्रस्तुति, एक बहुत ही प्रेरणादायक कविता से आगाज़ बहुत उत्तम लगा|

रविकर ने कहा…

उत्कृष्ट लिंको के साथ मेरी रचना भी है-
बहुत बहुत आभार आदरणीय-

Sadhana Vaid ने कहा…

पठनीय सूत्रों से सुसज्जित बुलेटिन ! मेरी प्रस्तुति को इसमें सम्मिलित करने के लिये आपका धन्यवाद एवं आभार शिवम् जी !

संगीता स्वरुप ( गीत ) ने कहा…

बहुत अच्छी कविता पढवाई ... काश पेड़ों के दर्द को समझ पाते . सुन्दर सूत्र .

शिवम् मिश्रा ने कहा…

आप सब का बहुत बहुत आभार |

Anamikaghatak ने कहा…

kya bat.....bahut badhiya links........post ko shamil karne ke liye dhanyawad

Unknown ने कहा…

बेहद उम्दा। बधाई आपको।

rajeev sharma raj ने कहा…

shrimaan ji पेड़ों के दर्द को क्यों नही समझते हम ye meri mul rachnaa hai ..... meri rachna ko itna pyaar dene ka bahut bahut shukriyaa

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