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बुधवार, 7 मई 2014

परिवर्तन की चाह में लिंक्स पढ़िये



शरीर और रिश्ता - हमारा मोह है 
जिसके घेरे में 
हम लड़ते हैं, बेइन्तहां प्यार करते हैं 
एक जरा सी चूक से खुद में परिवर्तन लाते हैं 
यही परिवर्तन जीत है 
……………………………… परिवर्तन की चाह में लिंक्स पढ़िये 



एक नज़र फेसबुक पर, जो किसी ब्लॉग से कम नहीं -

किशोरावस्था से वृद्धावस्था तक कि दूरी......माँ के आँचल की प्रबल और सशक्त बंधन से प्रेरित होकर लड़कियाँ पार करती हैं. इसी ममता के कसाव से ढ़ील पाकर जीवन के आकाश में सहजता से विचरती हैं……ये और बात है कि अतीत के आँचल से बँधे रहने की कल्पना, शायद औरतों में किसी भी उम्र में ख़त्म नहीं होती है.…...और एक कविता अनायास ही जन्म ले लेती है……
वह ममता कितनी प्यारी थी
वह आँचल कितना सुंदर था
जिसके कोने की गिरहों में
थी मेरी ऊँगली बँधी हुई……
बित्ते भर की खुशियाँ थीं
ऊँगली भर की आकाँछा थी
उस आँचल की उन गिरहों में
बस अपनी सारी दुनिया थी....

ध्वनियों में निहित ध्वनियाँ
तोलती हैं अस्तित्व
... शब्दों में
शब्दों के चुक जाने तक
- शिखा

मेरी सांसों की चाबियाँ रख दीं
बैग में सब दवाइयाँ रख दीं
मुस्कुरा कर तुम्हारी यादों ने
मेरे हिस्से में सिसकियाँ रख दीं
ऐब सुनने को लोग आतुर थे
आपने मेरी ख़ूबियां रख दीं
हम भी निकले कमाल के क़ैदी
काट कर अपनी बेड़ियां रख दीं
एक ताज़ा हवा के झोंके ने
ग़म के माथे पे पट्टियां रख दीं
कोई शिकवा छलकने वाला था
दिल ने होठों पे उँगलियाँ रख दीं
दो क़दम पर तुम्हारी चौखट थी
सबने रस्ते में दूरियां रख दीं
बातें रखनी थीं सिर्फ अपने तक
तुमने लोगों के दरमियां रख दीं
तुम हो शाने पे फिर भी सीने में
किसकी यादों ने हिचकियाँ रख दीं
इरशाद ख़ान सिकंदर

और कुछ और लिंक्स -

14 टिप्पणियाँ:

Unknown ने कहा…

sundar sarthak posts tak pahunchane ka aabhaar Rashmi di..

दिगम्बर नासवा ने कहा…

कुछ नए सूत्र ... आभार मुझे जगह देने का ...

Parmeshwari Choudhary ने कहा…

Beautiful poems.

mridula pradhan ने कहा…

धन्यवाद,रश्मि प्रभा जी……सुंदर लिंक्स के लिए भी और मुझे लेने के लिए भी.

Amrita Tanmay ने कहा…

वाह! जीत की इतनी सुन्दर परिभाषा .. अच्छी लगी.. हार्दिक आभार..

आशीष अवस्थी ने कहा…

बढ़िया बुलेटिन व लिंक्स प्रस्तुति , रश्मि जी व बुलेटिन को धन्यवाद !
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Anita ने कहा…

बहुत सुंदर सूत्र...इरशाद खान की गजल वाकई लाजवाब है..आभार !

संगीता स्वरुप ( गीत ) ने कहा…

वक़्त के साथ खुद में परिवर्तन लाना भी ज़रूरी है । जाते हैं दिए लिंक्स पर । आभार रश्मि जी ।

सुशील कुमार जोशी ने कहा…

सुंदर बुलेटिन
हमेशा की तरह
परिवर्तन को
होना ही है हमेशा
कुछ अपनी ही तरह :)

Dr. sandhya tiwari ने कहा…

behatarin links.........dhanyvad

Maheshwari kaneri ने कहा…

हमेशा की तरह सुंदर बुलेटिन ..आगे बढ़ने के लिए परिवर्तन तो चाहिए ही,,

स्वाति ने कहा…

दिल से आभार … सुन्दर सूत्र पिरोएँ हैं ...:)

शिवम् मिश्रा ने कहा…

हमेशा की तरह सुंदर बुलेटिन ... जय हो दीदी |

Unknown ने कहा…

रश्मि दी ... बहुत ही बड़ा वाला शुक्रिया :)
सभी लिंक्स एक दूसरे से बहुत अलग और सुंदर हैं ... पढ़कर ही चली आ रही हूँ

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