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बुधवार, 28 मई 2014

अब नसीहतों के दस्तावेजों से वह नहीं मिलेगी



इसीलिए कहते हैं कि  … क्या कहते हैं !
कुछ समझ में नहीं आता !
2 महीने पहले जो शादी हुई धूमधाम से 
लड़की ने जान दे दे !!!!!!!!!!!!!!!!!
तिथि देखी गई 
घर देखा गया 
विधि-विधान से शादी 
फिर कहाँ कमी रह गई ?
अब ?
कुछ भी करके अब  वह नहीं आएगी 
नहीं सुनाई देगी उसकी खिलखिलाहट 
उसके सपनों की बानगी तो जल गई !!!
क्या उसने कुछ नहीं कहा 
कोई इंकार 
कोई शिकायत 
कोई डर ???
कहा तो होगा ही 
पर अब नसीहतों के दस्तावेजों से 
वह नहीं मिलेगी 
…… 

यही है परिणाम ! और इसके आगे अपने संस्कारों के बुलंद दरवाजों के करीब माँ - बाप ! जिस समाज, परिवार के लिए नसीहतें दी जाती हैं बेटी या बेटे के ज़ख्म को, वे टहल लेते हैं इस स्थिति में  .... उनका क्या गया,जो वे रोयेंगे !!
चलिए, यही है आज की भी ताजा खबर, इसके साथ कुछ लिंक्स -

और टहलते हुए कुछ और लिंक्स -

10 टिप्पणियाँ:

सदा ने कहा…

पठनीय सूत्र मिल गये हैं ... आभार !

आशीष अवस्थी ने कहा…

बढ़िया लिंक्स व प्रस्तुति , रश्मि जी व बुलेटिन को धन्यवाद !
I.A.S.I.H - ब्लॉग ( हिंदी में समस्त प्रकार की जानकारियाँ )

सुशील कुमार जोशी ने कहा…

कब बदलेगा बहुत कुछ जिसे सच में बदल लेना था अपने आप को अब तक ?
सुंदर बुलेटिन ।

गगन शर्मा, कुछ अलग सा ने कहा…

बढ़िया अंक

Anita ने कहा…

लडकियों को अब नसीहतों की घुट्टी पिला कर झुकने पर मजबूर नहीं किया जा सकता..वे अपने दम पर जीना चाहती हैं, लेकिन मृत्यु कोई हल नहीं है
एक ही विषय पर इतने सारे सुंदर सूत्र..बहुत बहुत आभार !

vandana gupta ने कहा…

बहुत जबरदस्त लिंक्स संजोये हैं

Amrita Tanmay ने कहा…

जब सपने यूँ ही जल जाते हैं तो राख भी नहीं बचता है .. सुन्दर बुलेटिन के लिए हार्दिक आभार..

शिवम् मिश्रा ने कहा…

सार्थक बुलेटिन प्रस्तुति ... आभार रश्मि दीदी |

Satish Saxena ने कहा…

पढ़ने योग्य काफी अच्छे लिंक मिले हैं आभार !!

Rachana ने कहा…

bahut sunder links lagayen hain dhnyavad
rachana

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