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रविवार, 6 अप्रैल 2014

एक ही कामना




आओ एक नदी बनाते हैं आंसुओं की 
तुम भी जी भरके रो लेना 
हम भी रो लेंगे 
अंजुरी में ले आंसुओं का अर्घ्य सूर्य को देंगे 
एक ही कामना लिए - 
इस नदी में जब डूबना 
तो दर्द के भीगे अनकहे हालात को भस्म कर देना 
ताकि एक दिन यह नदी 
न्याय की तलाश में उफनती गंगा बन सके !!!


और गंगा में मिले कुछ विशेष लिंक्स =

8 टिप्पणियाँ:

सुशील कुमार जोशी ने कहा…

मजाक मत करिये
मोदी के आँसू
सोनियाँ के आँसू
से कैसे मिलेंगे :)

सुंदर बुलेटिन :)

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

सुन्दर और पठनीय सूत्र।

Maheshwari kaneri ने कहा…

बहुत ही सुन्दर सूत्र.. सुशील जी की बात पर ध्यान दीजिए..

रश्मि प्रभा... ने कहा…

:) सुशील जी

Dr.NISHA MAHARANA ने कहा…

are waah mai to achanak hi pahunch gai blog bulletin men yahan pieasent surprise mila dhanyavad rashmi jee .....

चला बिहारी ब्लॉगर बनने ने कहा…

खारी गंगा में डूबना अच्छा लगा!!

शिवम् मिश्रा ने कहा…

सार्थक बुलेटिन दीदी ... आभार |

Digvijay Agrawal ने कहा…

आपकी लिखी रचना बुधवार 09 अप्रेल 2014 को लिंक की जाएगी...............
http://nayi-purani-halchal.blogspot.in आप भी आइएगा ....धन्यवाद!

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