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गुरुवार, 3 अप्रैल 2014

जीवन में संगीत का महत्त्व

आदरणीय ब्लॉगर मित्रों सादर प्रणाम,

प्रस्तुत है आज का बुलेटिन : 

मनुष्य में संगीत प्रेम एक सहज बोध है | संगीत विद्या, सुस्वर, कंठ संगीत, गाना, ताल, तालैक्य, राग, लय, संगीत, सुर, म्यूजिक, तान, अवरोहण, राग, और भी ना जाने कौन कौन से नामों से यह जाना जाता है | हालांकि यह इसके परंपरागत पुकारे जाने वाले नाम हैं परन्तु आजकल की नई पीढ़ी को सिर्फ और सिर्फ 'म्यूजिक' शब्द ही समझ आता है | इस संसार में, कायनात में कितनी ही ऐसी चीजें हैं जो इंसान के लिए प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से बहुत उपयोगी हैं और उनके जीवन को सकारात्मक दिशा प्रदान करने में कारगार साबित हुई हैं | उनमें से एक ऐसी ही बेहतरीन अभिव्यक्ति संगीत की है | जिस प्रकार प्रकृति मनुष्य को सजीव और व्यवस्थित रखने हेतु ज्ञान-अज्ञान, पाप-पुण्य, घर्म-संस्कार का अनुगमन कराती है उसी प्रकार इंसानी मस्तिष्क और जीवन को शांत, अव्याकुल, स्थिर, तनाव मुक्त रखने के लिए यही संगीत भी सुनाती है | 

संगीत से सुन्दर इस दुनिया में कुछ भी और नहीं है और ना हो सकता है और ना ही कभी होगा क्योंकि संगीत हर तरह से बंधन मुक्त है | संगीत किसी एक धर्म का नहीं इसका कोई मज़हब नहीं यह किसी का भी ग़ुलाम नहीं | इसका कोई रंग नहीं रूप नहीं आकार नहीं प्रकार नहीं और ना ही कोई इसको बंधन में बाँध सकता है | संगीत ना हिन्दू का है ना मुसलमान का, ना सिख का, ना ईसाई का | यह सबका प्यारा है सबका दुलारा है | इस विश्व में संगीत का कोई सानी नहीं | जिस तरह इन्द्रधनुष के सात रंग होते हैं, इंसान के जीवन में सात वचन होते हैं, उसी तरह इसके साथ सुर होते हैं और इंसानी जीवन में उनका महत्त्व और नाता उतना ही गहरा और पुराना है | 

ज़िन्दगी में संगीत का एक अलग ही महत्त्व है | एक तरह से देखा जाये तो एक आम इंसान के जीवन में संगीत का एक अलग ही मुक़ाम है | संगीत दिल-ओ-दिमाग को ही नहीं बल्कि आत्मा को भी सुकून देता है | मिसाल के तौर पर यदि मैं अपने बारे में कहूँ तो मैं एक बहुत ही साधारण सा प्राकृतिक जीव हूँ | देश, काल, पात्र, माहौल, व्यवस्था, परिवेश, परिस्थिति, वातावरण, अवस्था के अनुरूप मेरी चित्त वृत्ति में परिवर्तन अनिवार्य होता है | कभी मनोदशा जड़ तो कभी मिजाज़ चेतन | कभी प्रसन्न कभी अप्रसन्न | कभी ख़ुशी कभी उदास | कभी खिन्न और ना जाने कितने ही भिन्न प्रकार के वेग मन का अभिन्न अंग आवर्तशः होते रहते हैं | इन सभी मुद्राओं को अपने वश में करने और उनके उग्र, हर्षित, उत्तेजित, कुपित, कष्टप्रद, आतंकित, अवनत मनोभावी आवेग को नियंत्रित और वशीभूत करने के लिए संगीत का सुनना बेहद ज़रूरी है | 

मेरे जैसा एक औसत मध्यम वर्गीय प्राणी हो, ऊँचे वर्ग का व्यक्ति हो या कोई निम्न वर्ग का व्यक्ति हो, नर-नारी, बड़ा-बूढ़ा, लड़का-लड़की, बच्चा-बच्ची यहाँ तक किन्नर और जानवर आदि तक हर कोई संगीत को अपने जीवन में सर्वोच्तम स्थान देते हैं | ताल पर झूमना और थिरकना तो बिलकुल सभी को लुभाता है | रोज़मर्रा के जीवन की आपाधापी में आज सभी अपने तनाव को कम करने के लिए संगीत सुनते नज़र आते हैं | 

आज ज़िन्दगी में संगीत का सिलसिला सुबह की चाय की प्याली से शुरू होकर रात को सनम से बातचीत करते-करते सो जाने तक चलता रहता है | सुबह पौ फटी नहीं के घर में रेडियो पर घार्मिक कार्यक्रम, भजन, मन्त्र, आरती आदि सुनना आरम्भ हो जाता है | कुछ लोग अपने कंप्यूटर, डीवीडी प्लेयर, टीवी, डिश, टाटास्काई आदि उपकरणों पर भी सुनना पसंद करते हैं | वहीं पर कहीं पर उठते ही रॉक एंड रोल सुना जाता है तो कहीं नए-पुराने फ़िल्मी गीत बजाये जाते हैं | आशिकों के मकबरों में सुबह से आपको रोमांटिक संगीत की छनक सुनने को मिल जाएगी | वहीं बाल बच्चेदार परिवारों में छोटे बच्चों के लिए बालवाड़ी और उनके बालविहार से जुड़े कार्यक्रम सुनने को मिल जायेंगे | 

जिनके पास यह सब सुविधाएँ नहीं होती तो आज की टेक्नोलॉजी जिंदाबाद है जिसने मोबाइल फ़ोन में संगीत सुनने और चुनने दोनों का अधिकार दिया है | मोबाइल आज हर छोटे बड़े की ज़िन्दगी का एक अहम् हिस्सा है और उसी के साथ संगीत भी सहज रूप से जीवन में जज़्ब होता जा रहा है | घर से काम पर निकलते पैदल, गाड़ी में, मेट्रो में, बस में, रिक्शा में, स्कूटर पर, बाईक पर या कैसे भी हो हर जगह आपको लोगों के कानों में उनके हैडफ़ोन और ईअरप्लग लगे नज़र आ जायेंगे | 

संगीत की ताक़त ऐसी है की यदि एक दफ़ा बज जाये तो क्या अच्छा और क्या बुरा सभी नाचने और थिरकने को उतारू हो जाते हैं | संगीत एक है रूप अनेक हैं कभी माँ की लोरी में तो कभी पिता की थपकी में, कभी प्रभु के भजन में, कभी अल्लाह की अज़ान में, कभी सबद-गुरबानी में, कभी चर्च के कैरोल्स में | संगीत रोते हुओं को हंसाता है तो हँसते हुओं को रुलाता भी है | संगीत व्यक्ति की खुशियों में शामिल होता है तो ग़म में भी साथ निभाता है | संगीत की पैठ हर जगह में है | इसकी दीवानगी अपनों में भी होती है और परायों में भी | यह दोस्तों की भी चाहत है और दुश्मनों की भी | कभी लैला का इनकार है तो कभी मंजनू का इज़हार | कहीं सोहनी का रश्क़ है तो कहीं महिवाल का इश्क और कभी हीर रांझा का संगीत है | 

हमारे रोज़ की दिनचर्या में, ऑफिस में, केबिन में, कैंटीन में, कंप्यूटर पर, घर में, रसोई में, टॉयलेट में, बाथरूम में, बेडरूम में, टीवी रूम में, नौकरी लगने पर, शादी तय होने पर, गर्ल फ्रेंड-बॉयफ्रेंड मिलने पर, इन्क्रीमेंट होने पर, बालक होने पर, बीवी-प्रेमी-प्रेमिका से अनबन होने पर, यारी दोस्ती में, वैलेंटाइन डे पर, ख़ुशी में, त्योहारों पर, जन्मदिन पर, क्लास में पास होने पर, बॉस के लताड़ने पर, नौकरी छूटने पर, रिश्तों के टूटने पर, अपनों के रूठने-मानाने पर, डांट खाने पर, ख़ुशी जताने पर, ग़म छुपाने पर, टेंशन रिलीज़ करने पर, ग़म गलत करने पर, बार में नशा चढ़ने पर, दिलरुबा के भड़कने पर, हनीमून में तड़पने पर, बेडरूम में फड़कने पर और भी ना जाने कहाँ, कैसे, किधर गाना सुनना तो बनता है गुरु | जब भी कान लगाकर सुनोगे तब हमेशा हर कहीं संगीत बजता नज़र आएगा | जब बजेगा गाना जभी तो तरोताज़ा होगा दीवाना और तयार हो जायेगा ज़िन्दगी का एक नया फ़साना और लड़ेगा एक नई जंग के लिए, एक नए उत्साह के साथ नए दिन को जीने के लिए | 

कुछ कम्पनियों में तो बाकायदा म्यूजिक रूम भी बनाये जाते हैं जिससे उनके कर्मचारियों का मनोबल संगीत सुनाकर बढ़ाया जा सके और कार्यक्षमता में और ज्यादा बढ़ोतरी हो सके | अब तो हर कोई अपनी पसंद के गाने, विडिओज़ आदि सब यू-ट्यूब पर भी देख सकते हैं और सुन सकते हैं | इन्टरनेट सेवा ने सभी को आपस में इतना ज्यादा जोड़ दिया है की अब संगीत का आदान-प्रदान व्हाट्सऐप, वाईबर, लाईन, वीचैट, फेसबुक आदि जैसे स्रोतों के मध्यम से भी हो सकता है | आप अपनी मनोदशा को किसी से भी कभीं भी कहीं भी अपने चुनिन्दा संगीत के रूप में इन माध्यमों से व्यक्त कर सकते हैं | 

संगीत की महिमा ऐसी है कि निर्जीव में प्राण फूँक दे | अब आप निर्णय कीजिये संगीत इस दुनिया में सबसे बेहतर है या नहीं ........ क्या और कुछ है इससे बेहतर ! 

आज की कड़ियाँ 












अब इजाज़त | आज के लिए बस यहीं तक | फिर मुलाक़ात होगी | आभार
जय श्री राम | हर हर महादेव शंभू | जय बजरंगबली महाराज 

11 टिप्पणियाँ:

सुशील कुमार जोशी ने कहा…

सुंदर संगीतमय बुलेटिन के लिये बधाई ।

आशीष अवस्थी ने कहा…

बेहतरीन बुलेटिन व बेहतरीन सूत्र , तुषार भाई व बुलेटिन को धन्यवाद !
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चला बिहारी ब्लॉगर बनने ने कहा…

संगीत तो वैसे भी अपना विषय है.. संगीत के मामले में अनपढ होते हुये भी संगीत की पहचान रखना परमात्मा का आशीष है मुझपर और पिता जी की देन है!!
बहुत ही सार्थक आलेख और अच्छे लिंक्स!!

गिरिजा कुलश्रेष्ठ ने कहा…

यह संगीतमय पोस्ट काफी अच्छी लगी

Dr.NISHA MAHARANA ने कहा…

sahmat hoon ...kam se kam ak ghante sangeet jaroor sunti hoon mai bhi daily ....

Tamasha-E-Zindagi ने कहा…

आप सभी का बहुत बहुत आभार - जय हो

शिवम् मिश्रा ने कहा…

बेहद उम्दा संगीतमय बुलेटिन ... आभार तुषार भाई |

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

संगीत मन में उतरता है, गहरे। बड़े ही सुन्दर सूत्र।

Sarik Khan Filmcritic ने कहा…

Mere lekh ko padkar subko hairat hui ki koi aisa bhi likhta hai. Main lekhak khud hairat kar raha hu aise lekh ko koi chhap bhi sakta hai. Sirf main nahi aap bhi gazab ho. Thanks.

Tamasha-E-Zindagi ने कहा…

jai ho - sabhi gunijan ka aabhar...

Geetsangeet ने कहा…

"संगीत की महिमा ऐसी है कि निर्जीव में प्राण फूँक दे..."

उत्तम लेख, बधाई.

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