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गुरुवार, 27 मार्च 2014

ईश्वर भी वेकेशन चाहता होगा ?

प्रिये ब्लॉगर मित्रों सादर नमस्कार,

प्रस्तुत है आज का बुलेटिन एक अलग विषय पर | उम्मीद है आपका रेस्पोंसे अच्छा मिलेगा कमेंट्स और क्रिटिक के साथ | 






क्या, ईश्वर आधीन है ? अपने भक्तों का, नहीं ईश्वर आधीन हो गया हमारे विचारों में | ईश्वर को माना है एक एजेंट की तरह या उसको रिश्वत देते हैं किसी नेता की भांति | अमुक काम होने पर, प्रसाद चढ़ाऊंगा / चढ़ाऊंगी | मात्रा क्या है, कितनी है यह काम के पूर्ण होने पर बताऊंगा / बताऊंगी | शायद भगवान् भी छटपटाता होगा, मानव के इस अविचारनीय व्यवहार पर | हर मानव विधाता को दोष देता है | अपने दुखों में, रोते-धोते, बिगड़ते काम के लिए, नौकरी ना मिलने पर, बढ़िया छोकरी ना मिलने पर, बीवी की बेवफ़ाई पर, सुसराल-मायका बुरा मिलने पर, बॉस बुरा मिलने पर, सास बुरी मिलने पर, साली अच्छी ना मिलने पर, बौस के जैसी सेक्रेटरी ना मिलने पर, बुरे कामों के लिए, किस्मत में खोट के लिए जैसे और भी कितने ही बहनों और हर उन्नत्ति में, विजय में, खुशियों में और सुचारू चलते जीवन में कहता है प्रभु की ऐसी ही इच्छा है, यह जो भी सब हो रहा है सब ऊपर वाले का किया धरा है | स्वस्थ शरीर रहने पर मानव अपने शरीर का ख़याल स्वयं रखता है पर अपने अच्छे-बुरे कर्मों के और उनके फल में बिना विचारे क्यों हर पल, हर वाक्य में भगवान् को घसीटता हैं ? हर चौराहे पर, हर गलियारे, वाहन में, घर में, रसोई में, दुकानों में, यहाँ तक सड़क पर आलों को बनाकर, चादरें बिछाकर, पेड़ों में, पत्तों में, गमले में, नदी-नालों में और जहाँ ना देखो वहां भी सभी जगह ईश्वर को स्थापित करता है या किसी दैत्य की तरह समझकर उसके कोप से डरकर यह सब करता है ? क्यों ? जबकि मानव जन्म में ही प्रभु ने गीता में सब कुछ कह डाला है फिर भी उसे ना जानते हुए ईश्वर को क्यों अपमानित करते हैं द्रौपदी की भांति ? क्यों उसके दामन को दूषित करते रहते हैं हम ? 

यह मेरी एक सोच भर है और मेरा ऐसा मानना है की शायद इंसान की ऐसी ही हरकतों के कारण आज कलयुग में कभी ईश्वर भी तंग आकर अपने ईश्वरपन के एहसास को भुलाना तो ज़रूर चाहता होगा | कहीं न कहीं वो भी एक सामान्य, साधारण, छोटा सा मिडिल क्लास ईश्वर बनकर अपना जीवन जीना चाहता होगा | कुछ समय के लिए ही सही पर कहीं जाकर चिल्ल करना चाहता होगा | हाथ में जूस का गिलास लेकर कहीं समुंद्र के किनारे कुर्सी पर लेटे आराम फ़रमाना चाहता होगा | रोज़ रोज़ के आने वाले किल किल कांटे वाले मुकद्दमें, विनय, गुजारिश, फ़रियाद, अनुरोध, अर्जियों, आवेदन, इच्छाओं, गुहार, निवेदन, प्रार्थना, माँग, विनती इत्यादि से थक कर, पक कर सबके फैंसलों, परिणामों, चिंताओं, परेशानी से दूर रहकर अपने मन मस्तिष्क को शान्ति देना चाहता होगा | कहीं अकेले में बैठकर कॉफ़ी पीते हुए हाथ में किसी दुसरे भगवान् की लिखी किताब लेकर पढ़कर क्वालिटी टाइम बिताना चाहता होगा | कभी वो भी तो अकेले थिएटर में बैठ कर पॉपकॉर्न चरते अपनी पसंदीदा सिनेमा का मज़ा उठाना चाहता होगा | जो प्रभु आज के युग में कपल हैं मतलब की गर्लफ्रेंड-बॉयफ्रेंड हैं या मियां-बीवी हैं और दोनों ही प्रोफेशनल वर्किंग मोड में हैं और रोज़ाना जीवन में ईश्वरपन के सुख-साधन अफ्फोर्ड कर सकते हैं वो भी कहीं न कहीं समय निकालकर आपस में साथ समय ज़रूर व्यतीत करना चाहते होंगे हैं | मूड बना कर वो भी तो आपस में डुएट गाना चाहते होंगे | मुझे ऐसा लगता है भगवान् को भी तो हॉलिडे, इन्क्रीमेंट, पर्क्स, ब्रेक आदि मिलना चाहियें | जब इंसान अपनी परिस्थितियों से उब कर, किलस कर, चिढ़ कर भगवान् को दोष दे सकता है तो प्रभु भी तो कभी ना कभी ऐसा सोच सकता है | बात बात पर प्रभु को कोसने से और पकड़ कर इन्वोल्वे करने से अच्छा है अपने कर्म पर ध्यान दें और मस्त रहें | हँसे मुस्कुराएँ खुशियाँ मनाएं परिस्थितियां चाहे कितनी ही विषम क्यों न हों, विपरीत क्यों ना हों हमेशा सकारात्मक सोच रखें और पॉजिटिव रहे | क्यों है या नहीं ? 

यह व्यंग लिखने का मतलब सिर्फ इतना है के उन आँख वाले अन्धो और कान के बहरों और पुरुषार्थ ना करने वाले आलसी जीवों को अक्ल आ जाये और वो बात बात पर भगवान् की टांग खींचना बंद करके हिम्मत जुटा कर अपने जीवन का सामना अपने आप करने की कोशिश करें | क्योंकि जिस दिन भगवान् में ब्रेक ले लिया ना उस दिन बेटा अच्छे अच्छों की लंका लग जाएगी | कुछ सोचो - :) ......

आज की कड़ियाँ 
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एक आम चेहरा भर ही तो हूँ - वंदना गुप्ता

भूतों के राजा का वरदान तो कल्पना है - नित्यानंद गायेन

जय बोलें किसकी - उदय वीर सिंह

कभी बतला भी न पाया कि कितना प्यार करता हूँ तुमसे मैं - वीरेन डंगवाल

ज़र्रों में क्यूँ खोज रहा है काफ़िर शुकून के पल यहाँ - केशव किशोर जैन

शोर था इस मकाँ में क्या-क्या कुछ - नासिर काज़मी

आणविक परीक्षण - अनीता

अपने (कुण्डलियाँ) - सरिता भाटिया

ख़्वाब - सरस

रंगमंच के बहाने - राजेश उत्साही

कम्‍प्‍यूटर के टिप्‍स और ट्रिक्‍स का बेहतरीन संग्रह - कंप्यूटर टिप्स एंड ट्रिक्स

नज़रे उठा के देखो करता है 'वो' इशारे - शिखा कौशिक

अब इजाज़त | आज के लिए बस यहीं तक | फिर मुलाक़ात होगी | आभार
जय श्री राम | हर हर महादेव शंभू | जय बजरंगबली महाराज 

11 टिप्पणियाँ:

shikha varshney ने कहा…

मुझे तू कहाँ ढूंढें रे बन्दे .. मैं तो तेरे अन्दर हूँ ...

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

सुन्दर और पठनीय सूत्र।

Parmeshwari Choudhary ने कहा…

सही बंधु। ईश्वर बिचारा बहुत ओवर बर्डन हो गया है। व्यंग नहीं हक़ीक़त है। अच्छी रचना।

सुशील कुमार जोशी ने कहा…

भगवान कब का
ब्रेक ले चुका है
ये पक्की बात है
और
किसी को नहीं पता है
जो हो रहा है
हर तरफ
या तो भगवान
करने के लिये
खुद कह गया है
या फिर वो
छुट्टी पर खुद
ही चला गया है :)

आशीष अवस्थी ने कहा…

बढ़िया प्रस्तुति के साथ बढ़िया बुलेटिन व सूत्र , तुषार भाई व बुलेटिन को धन्यवाद !
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Shikha Kaushik ने कहा…

nice links .thanks to give space to my post.

vandana gupta ने कहा…

जाने किस दुनिया में मेरा खुदा भी खो गया ………सुन्दर बुलेटिन …………आभार

कविता रावत ने कहा…

बढ़िया बुलेटिन प्रस्तुति .......

शिवम् मिश्रा ने कहा…

आज तो टॉप गिअर मे गाड़ी दौड़ा दिये हो भैया ... बिलकुल झकास ... जय हो |

Anita ने कहा…

प्रभावशाली लेखन..आभार !

Dr. Preeti Dixit ने कहा…

sundar sayojan ....

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