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बुधवार, 20 नवंबर 2013

प्रतिभाओं की कमी नहीं 2013 (12)

ब्लॉग बुलेटिन का ख़ास संस्करण -



अवलोकन २०१३ ...

कई भागो में छपने वाली इस ख़ास बुलेटिन के अंतर्गत आपको सन २०१३ की कुछ चुनिन्दा पोस्टो को दोबारा पढने का मौका मिलेगा !

तो लीजिये पेश है अवलोकन २०१३ का १२ वाँ भाग ...



मुड़कर देखते हुए लगता है - काश कुछ कदम पीछे ले पाते और दरके हुए हालातों को दूसरे ढंग से देख पाते  …. 
सुकून कहाँ रहता है किसी पड़ाव पर - एक अधूरापन साथ साथ चलता ही जाता है  . अधूरापन कैसे न हो,क्यूँ न हो - पहल करने के आगे या तो अहम् है,या धृष्टता ! 
संकल्प मन का होता है,जिसकी धारा हम स्वेक्षा से मोड़ देते हैं  - रिश्ते अजनबी होते नहीं,बना दिए जाते हैं   .... 
खैर, कुछ प्रतिभाएँ मस्तिष्क,ह्रदय को चौंधिया देती हैं - और तपस्वी की तरह उसे ध्यानमग्न हो पढ़ने के सिवा कोई चारा नहीं होता  … 
मन की उथलपुथल को शून्य आले पर रखिये और पढ़िए पूरी एकाग्रता से -



उन तमाम लड़कियों के लिए जिनके सपनों में इतने अनंत रंग थे जितने धरती 
पर समाना मुश्किल है, लेकिन जिनके सपनों पर इतने ताले जड़े थे, जो संसार 
की सारी अमानवीयताओं से भारी थे।


तुम जो भटकती थी
बदहवास
अपने ही भीतर
दीवारों से टकराकर
बार-बार लहूलुहान होती
अपने ही भीतर कैद
सदियों से बंद थे खिड़की-दरवाजे
तुम्‍हारे भीतर का हरेक रौशनदान
दीवार के हर सुराख को
सील कर दिया था
किसने ?
मूर्ख लड़की
अब नहीं
इन्‍हें खोलो
खुद को अपनी ही कैद से आजाद करो
आज पांवों में कैसी तो थिरकन है
सूरज उग रहा है नदी के उस पार
जहां रहता है तुम्‍हारा प्रेमी
उसे सदियों से था इंतजार
तुम्‍हारे आने का
और तुम कैद थी
अपनी ही कैद में
अंजान कि झींगुर और जाले से भरे
इस कमरे के बाहर भी है एक संसार
जहां हर रोज सूरज उगता है,
अस्‍त होता है
जहां हवा है, अनंत आकाश
बर्फ पर चमकते सूरज के रंग हैं
एक नदी
जिसमें पैर डालकर घंटों बैठा जा सकता है
और नदी के उस पार है प्रेमी
जाओ
उसे तुम्‍हारे नर्म बालों का इंतजार है
तुम्‍हारी उंगलियों और होंठों का
जिसे कब से नहीं संवारा है तुमने
वो तुम्‍हारी देह को
अपनी हथेलियों में भरकर चूमेगा
प्‍यार से उठा लेगा समूचा आसमान
युगों के बंध टूट जाएंगे
नदियां प्रवाहित होंगी तुम्‍हारी देह में
झरने बहेंगे
दिशाओं में गूंजेगा सितार
तुम्‍हारे भीतर जो बैठे तक अब तक
जिन्‍होंने खड़ी की दीवारें
सील किए रोशनदान
जो युद्ध लड़ते, साम्राज्‍य खड़े करते रहे
दनदनाते रहे हथौड़े 
उनके हथौड़े 
उन्‍हीं के मुंह पर पड़ें
रक्‍तरंजित हों उनकी छातियां 
उसी नदी के तट पर दफनाई जाएं उनकी लाशें 
तुमने तोड़ दी ये कारा 
देखो, वो सुदरू तट पर खड़ा प्रेमी 
हाथ हिला रहा है..... 

(हेमंत कुमार )

मैं बनाना चाहता हूं
एक बहुत बड़ी दुनिया
जिसका विस्तार हो
लाखों करोड़ों और अनन्त असीमित
आकाश के बराबर।

जहां हर बच्चे के हाथ में हों
रंग बिरंगे गुब्बारे
रूई और ऊन से बने
सुंदर खिलौने
हर बच्चे के कन्धों पर हो
एक बैग प्यारा सा
बैग में हों ढेरों
नई नई कहानियां
खूबसूरत दुनिया के हसीन गीत
हर बच्चे को मिल सके
पेट भर खाना।

जहां हर बच्चा
मुक्त रहे दुनिया के दुर्दान्त
बमों के धमाकों और संगीनों
भयावह सायों से
न पड़े उनके ऊपर
कोई मनहूस साया
खद्दरधारियों की लिजलिजी
और सड़ान्धयुक्त राजनीति का
और न सेंक सके
कोई भी बड़ा अपनी अपनी
रोटियां किसी मासूम की
असमय हुयी मौत पर।

जहां हर बच्चा खेल सके
सुन्दर हरे भरे मैदान में
फ़ूलों की रंग बिरंगी क्यारी के बीच
और हर बच्चे की आंखों में
तैर रहे हों
कुछ खूबसूरत
तितली के पंखों से कोमल सपने
जिनके सहारे वो बिता सके
अपना अनमोल जीवन
और महसूस कर सके
इस दुनिया में अपने वजूद को।

तो बताइये क्या आपने  भी
कोई ऐसी दुनिया बसाने
का ख्वाब अपने मन में संजोया है? 

एक खूबसूरत,मासूम दुनिया बसाने की चाह लिए जाने कितने मासूम बेरहमी
 से चढ़ा दिए जाते हैं सूली पर - पर चाह है ,उम्मीद है और विश्वास है !

10 टिप्पणियाँ:

सदा ने कहा…

पर चाह है, उम्मीद है और विश्वास है ! जिनके साथ जिदगी है आहिस्‍ता - आहिस्‍ता अपने कदम रखती ह‍ुई ...
बेहतरीन रचनाओं का चयन एवं प्रस्‍तुति

Dr. sandhya tiwari ने कहा…

बहुत ही सुन्दर संकलन ...........

वाणी गीत ने कहा…


मासूम से सवाल जब उगते हैं , कई दीवारें भरभराकर गिरती हैं !

Saras ने कहा…

खुशहाली का ख्वाब तो सभी कि निगाहों में .....तस्व्वुर में पलता है ....इंतज़ार है तो बस उसके कारगर होने का ..सुन्दर लिंक्स हमेशा कि तरह ..!!

नीलिमा शर्मा Neelima Sharma ने कहा…

लफ्ज़ लफ्ज़ उत्तम भाव

सुशील कुमार जोशी ने कहा…

गधों को राष्टृपति पुरुस्कार मिलता है मिला करे
कहीं आदमी की कद्र है कभी कभी महसूस भी होता है
नाराज मत होईऐगा ये उल्लू जो मन में आये लिख देता है !

Kailash Sharma ने कहा…

बहुत सुन्दर...

Sadhana Vaid ने कहा…

बहुत सुंदर रचनायें ! आभार आपका इन्हें पढवाने के लिये !

शिवम् मिश्रा ने कहा…

बेहतरीन रचनाओं का चयन एवं प्रस्‍तुति हमेशा की तरह ... जय हो |

Tamasha-E-Zindagi ने कहा…

बहुत खूब अवलोकन - जय हो मंगलमय हो |

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