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शनिवार, 6 अप्रैल 2013

बिना संघर्ष कोई महान नहीं होता - ब्लॉग बुलेटिन

प्रिय ब्लॉगर मित्रों,
प्रणाम !

आज का ज्ञान :- 
जिंदगी जीना आसान नहीं होता;
 बिना संघर्ष कोई महान नहीं होता;
 जब तक न पड़े हथोड़े की चोट;
 पत्थर भी भगवान नहीं होता।
सादर आपका
शिवम मिश्रा
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दिग्भ्रमित से लगते राहुल गांधी !!

पूरण खण्डेलवाल at शंखनाद
कांग्रेस जहां राहुल गांधी को प्रधानमंत्री बनाने की सोच रही है वहीँ लगता है अभी तक राहुल गांधी राजनीति में अपरिपक्व ही है ! उनको राजनीति में आये लगभग दस वर्ष से ज्यादा हो गये हैं लेकिन वो जनता के बीच अपनी गांधी परिवार से जुड़े होनें के अलावा कोई छाप छोड़ पानें में नाकाम ही साबित हुए है ! और कई बार तो खुद राहुल गाँधी ही दिग्भार्मित से नजर आते है जिससे उनकी समझदारी पर ही प्रश्नचिन्ह लगता हुआ दिखाई पड़ता है ! ऐसे में पारिवारिक पृष्ठभूमि के सहारे ही वो प्रधानमंत्री पद के दावेदार नजर आते है ! वैसे उनके अभी तक के नजरिये पर गौर किया जाए तो वो अस्पष्ट सा ही नजर आता है ! वो समस्याएं गिनाते ह... more »

यादों के पदचिन्ह

आगे बढ़ते बढ़ते अनायास कोई खींचता है पीछे.... मुझे बेबस सा करता हुआ. एक कदम पीछे रखती हूँ और धंसती चली जाती हूँ यादों के दलदल में गहरे, बहुत गहरे... डूबती उतराती हूँ छटपटाती हूँ बाहर आने को... कभी मिल जाता है किसी हाथ का सहारा कभी खुद-ब-खुद निकल आती हूँ लगा देती हूँ अपनी पूरी शक्ति चल पड़ती हूँ आगे... मगर इन पाँव का क्या? ये तो सन जाते हैं यादों की मिट्टी से और छोड़ जाते हैं अपने निशाँ शायद,पीछा करती यादों के लिए....... अनु 5/4/2013 एक महीना बीत गया......

फोन स्मार्ट और यूज़र स्लो

डॉ. मोनिका शर्मा at परवाज़...शब्दों के पंख
एक समय था जब कई सारे फोन नंबर मौखिक याद थे । इतना ही नहीं कई पते ठिकाने और अन्य आम जीवन से जुड़ी जानकारियां सहेजने को मस्तिष्क स्वयं ही तत्पर रहा करता था । कभी इसके लिए विशेष श्रम भी नहीं करना पड़ता था । कारण कि कोई और विकल्प ही नहीं था अपने दिमाग को काम में लेने के अलावा । मोबाइल फोन के आविष्कार ने यह समस्या हल की । पहली बार मोबाईल लिया तो अच्छा ही लगा था । सब कुछ कितना सरल हो गया था । अपनी स्मरणशक्ति की थाह मापने की तब आवश्यकता ही नहीं रही थी । तकनीक का विकास कहीं ठहरता नहीं । भले ही हमारी आवश्यकताएं पूरी हो रही हों, हम जो है उसी में संतुष्ट हों । फिर भी कुछ ना कुछ नया हमार... more »

जन्मदिन के बहाने.. अनुभव की कीमत..

तीन दिन पहले जन्मदिन था, दुख था कि जीवन का एक वर्ष कम हो गया और खुशी इस बात की कि आने वाला कल सुहाना होगा । कुछ लिखने की इच्छा थी परंतु समयाभाव के कारण लिखना मुमकिन नहीं हुआ, फ़ेसबुक पर जन्मदिन की शुभकामनाओं के इतने मैसेज मिले कि दिल प्रसन्न हो गया, इतने लोगों की शुभकामनाओं से दिल खुशियों से लबरेज हो गया। आज फ़ेसबुक के जमाने में आमने सामने बधाई देने वाले तुलनात्मक रूप से कम होते हैं, परंतु इस बार ऐसा नहीं रहा, यह भी एक बहुत सुखांत क्षण था कि जितने फ़ेसबुक दोस्तों ने जन्मदिन की बधाई दी उससे ज्यादा हमें परोक्ष रूप से दोस्तों की शुभकामनाएँ मिलीं, बाकी फ़ोन और चैटिंग वाले दोस्त भी शुभकामन... more »

कांच की खिड़की से बाहर ...

प्रीति टेलर at जिंदगी : जियो हर पल
आँखे फाड़ फाड़ कर देखती हूँ कांच की खिड़की से बाहर ... तेज धुप की ओढ़नी ओढ़कर धरती मुस्कुरा रही थी ... मैं जल रही थी ,आग आग हो रही थी , और धरती मुस्कुरा क्यों रही थी ???? परिणयका दौर होगा शायद उसका सूरजसे , सूरजकी किरणे उसे तार तार कर रही थी , और वो जैसे आग की लपटोमें पिघल रही थी , जिसमे मेरी ख़ुशी थी वो शायद उसका दर्द होगा गहरा , और मेरा दर्द मेरा जलना मेरा सुलगना , उसकी आस में बैठी हो धरती शायद इंतज़ारमें , ये दर्द ,ये जलन ,ये तपिश उसका श्रृंगार होगा शायद , और ये ही शायद ख़ुशी थी या कोई इश्किया साजिश , उसके और सूरज के मिलन के बीच कोई न आ सके , बस काली सड़क ,खड़े वृक्ष ,उसमे छुपे पंछी , छा... more »

पॉज़िटिव बनाम नेगेटिव

शिवम् मिश्रा at पोलिटिकल जोक्स - Political Jokes
*राजनीति की सब से पॉज़िटिव बात :- राजनीति मे आपका कोई भी दुश्मन नहीं होता ! राजनीति की सब से नेगेटिव बात :- राजनीति मे आपका कोई भी दोस्त नहीं होता !*

बच्चे के विकास में सहायक बनें न कि अवरोध

‘क्या करें, ये जंक फ़ूड के अलावा कुछ खाता ही नहीं’ ‘अभी ये महाशय दो साल के नहीं हुए हैं पर कोल्ड ड्रिंक का स्वाद पहचानते हैं’ ‘इन्हें देख लो, मोबाइल इनका सबसे प्यारा खिलौना है’ ‘कुछ समझ में नहीं आता कि क्या किया जाये, किसी भी बात की जिद पर रोता-सर पटकने लगता है’ ‘ये किसी बच्चे के साथ आसानी से एडजस्ट होता ही नहीं’...इस तरह के जुमले आपको भी अधिकतर सुनाई पड़ जाते होंगे. आज के अभिभावकों की एक बहुत बड़ी समस्या अपने बच्चों के व्यवहार को लेकर है. उन्हें समझ नहीं आ रहा है कि आज के ये बच्चे एकदम से इतने हाइपर, अति-आधुनिक कैसे हो गए हैं? आज के बच्चों में अति-सक्रियता के साथ-साथ एक तरह की आक्राम... more »

मैं आज मौन लिखने बैठा हूँ...

पिछले एक घंटे से न जाने कितनी पोस्ट लिखने की कोशिश करते हुए कई ड्राफ्ट बना चुका हूँ... सारे खयालात स्कैलर बनकर एक दुसरे से भिडंत कर रहे हैं... कई शब्द मुझे छोड़कर हमेशा के लिए कहीं दूर जा चुके हैं, मेरे पास चंद उल-झूलुल लफंगे अक्षरों के सिवा कुछ भी नहीं बचा है ... कई चेहरों की किताबें मुझसे मूंह फेर चुकी हैं... वो अक्सर मेरे बिहैवियर को लेकर शिकायत करते रहते हैं, ऐसे शिकायती लोग मुझे बिलकुल पसंद नहीं है, ऐसा लगता है उनकी शर्तों पर अपनी ज़िन्दगी जीने का कोई एग्रीमेंट किया हो मैंने... बार-बार अपनी कील लेकर मेरी पर्सनल लाईफ पर ठोकते रहते हैं... खैर, ऐसी वाहियात चेहरों की किताबें मैंने भ... more »

दिन में फैली ख़ामोशी -- संजय भास्कर

संजय कुमार भास्‍कर at शब्दों की मुस्कुराहट
जब कोई इस दुनिया से चला जाता है वह दिन उस इलाके के लिए बहुत अजीब हो जाता है चारों दिशओं में जैसे एक ख़ामोशी सी छा जाती है दिन में फैली ख़ामोशी वहां के लोगो को सुन्न कर देती है क्योंकि कोई शक्श इस दुनिया से रुखसत हो चुका होता है ...........!!!!! चित्र - गूगल से साभार @ संजय भास्कर

बकवास जारी है .....

जब भी नारी अधिकारों की बात चलती है या फेमेन जैसे संगठन सनसनी खेज तरीके से इस समस्या को सामने लाते हैं तो मेरे मन में इस विषय पर अनेक प्रश्न कुलबुलाने लगते हैं। नारीवादी संगठन नारी शक्ति, मुक्ति, आजादी , स्वतंत्रता आदि बातें बड़े पुरजोर तरीके से उठाते हैं। मैंने अपने चालीस वर्षीया जीवन में अपने आस पास के माध्यम वर्गीय हिन्दू समाज में जो कुछ देखा है और समझा है उस अनुभव के आधार पर नारी स्वतंत्रता मुक्ति आजादी अदि विचारों को मैं समझ नहीं पाता। हो सकता है कोई पर्दा पड़ा हो। मैं ये मनाता हूँ की स्त्रियों को समाज में पुरुषों के समान अधिकार प्राप्त नहीं हैं और उन्हें कमतर समझा जाता ह... more »

सिमटती जाये गंगा .........

shashi purwar at sapne
दोहे --- गंगा जमुना भारती ,सर्व गुणों की खान मैला करते नीर को ,ये पापी इंसान . सिमट रही गंगा नदी ,अस्तित्व का सवाल कूड़े करकट से हुआ ,जल जीवन बेहाल . गंगा को पावन करे , प्रथम यही अभियान जीवन जल निर्मल बहे ,सदा करें सम्मान . कुण्डलियाँ ----- गंगा जमुना भारती ,सर्व गुणों की खान मैला करते नीर को ,ये पापी इंसान ये पापी इंसान ,नदी में कचरा डारे धर्म कर्म के नाम, नीर ही सबको तारे मिले गलत परिणाम,प्रकृति से करके पंगा सूख रहे खलियान ,सिमटती जाए गंगा . -- शशि पुरवार
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अब आज्ञा दीजिये ...

जय हिन्द !!!

12 टिप्पणियाँ:

ANULATA RAJ NAIR ने कहा…

अच्छा बुलेटिन है..... सभी लिंक्स भाये...
हमारी यादों को सांझा करने का शुक्रिया...

अनु

विभा रानी श्रीवास्तव ने कहा…

ढेरों शुभकामनायें !!
ज्ञान की बातें सटीक होती है और प्रस्तुती उत्तम !!

डॉ. मोनिका शर्मा ने कहा…

बढ़िया लिनक्स..... आभार

पूरण खण्डेलवाल ने कहा…

सुन्दर ब्लॉग बुलेटिन !!
सादर आभार !!

महेन्द्र श्रीवास्तव ने कहा…

बढिया बुलेटिन

shashi purwar ने कहा…

tehe dil se abhar hamen shamil karne ke liye , sundar prastuti . .... badhai aapko

Asha Lata Saxena ने कहा…

बढ़िया सूत्र से सजा ब्लॉग बुलेटिन |
आशा

Rajendra kumar ने कहा…

आज की बेहतरीन बुलेटिन सार्थक पठनीय लिंकों के साथ.

शिवम् मिश्रा ने कहा…

आप सब का बहुत बहुत आभार !

Dr. sandhya tiwari ने कहा…

बेहतरीन लिंकों के साथ बुलेटिन...........

संजय भास्‍कर ने कहा…

सुन्दर ब्लॉग बुलेटिन !

संजय भास्‍कर ने कहा…

बेहद बेहतरीन उम्दा .........मेरी पोस्ट को शामिल करने के लिए आपका बहुत बहुत आभार !

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