Subscribe:

Ads 468x60px

कुल पेज दृश्य

शुक्रवार, 9 नवंबर 2012

इतने ही लिंक्स पढो तो जानें


रोज रोज लोग लिखते हैं , भागते भागते थक जाती हूँ .... नए की तलाश में ! नयापन तो सर्वत्र बिखरा पड़ा है - बस एक क्लिक में देर हो जाती है और पौधा वृक्ष बन जाता है . भावनाओं का अमिट संसार है हमारे आगे ... पन्ने दर पन्ने जितना पढ़ सकें पढ़िए और ज़िन्दगी का वह पहलु भी देखिये जो आपने नहीं देखा ..... इसी में कभी गुरु,कभी शिष्य तो कभी कोई सहयात्री मिल जायेगा ...
आइये पाइए सहयात्री ... गुरु ... शिष्य 



10 टिप्पणियाँ:

विभूति" ने कहा…

bhaut hi khubsurat links....

ऋता शेखर 'मधु' ने कहा…

सारे लिंक्स पढ़ लिए...वहाँ पर दी गई टिप्पणियाँ गवाह हैं:)

Soniya Gaur ने कहा…

जहां जाओगी खुशबू के तरह मैं भी चली आऊँगी/
अपने अहसास मे महसूस करना मुझे ही मुझे पाओगी

बहुत सुंदर लिंक्स दी(मालिका-ए-आजम) :)):))

रश्मि प्रभा... ने कहा…
इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

बहुत ही सुन्दर सूत्र..

देवेन्द्र पाण्डेय ने कहा…

शीर्षक लाज़वाब है। अभी एक भी लिंक नहीं पढ़ पाया।

समयचक्र ने कहा…

badhiya charcha jha ji ...

महेन्द्र श्रीवास्तव ने कहा…

बढिया लिंक्स

vandana gupta ने कहा…

बढिया लिंक्स

Amit Chandra ने कहा…

बेहतरीन लिन्कस.

एक टिप्पणी भेजें

बुलेटिन में हम ब्लॉग जगत की तमाम गतिविधियों ,लिखा पढी , कहा सुनी , कही अनकही , बहस -विमर्श , सब लेकर आए हैं , ये एक सूत्र भर है उन पोस्टों तक आपको पहुंचाने का जो बुलेटिन लगाने वाले की नज़र में आए , यदि ये आपको कमाल की पोस्टों तक ले जाता है तो हमारा श्रम सफ़ल हुआ । आने का शुक्रिया ... एक और बात आजकल गूगल पर कुछ समस्या के चलते आप की टिप्पणीयां कभी कभी तुरंत न छप कर स्पैम मे जा रही है ... तो चिंतित न हो थोड़ी देर से सही पर आप की टिप्पणी छपेगी जरूर!

लेखागार