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सोमवार, 16 जुलाई 2012

तेजाब :- मनचलों का हथियार - ब्लॉग बुलेटिन

प्रिय ब्लॉगर मित्रो ,
प्रणाम !

आज शाम जब फेसबूक पर अपनी प्रोफ़ाइल देख रहा था तो एक चित्र दिखा ... रोम रोम काँप उठा देख कर ... खास कर जब उस चित्र से साथ दिये गए डीटेल को पढ़ा तो और भी निराशा हुई साथ साथ बहुत तेज़ गुस्सा आया ... कारण अभी बताता हूँ आपको !
Nine years after an acid attack left Sonali Mukherjee blind in both eyes, partially deaf and melted away the skin on the skull, neck, chest and back, the 27-year-old has been running penniless from pillar to post in Delhi for help from the government. But today, she has given up the fight and demands either justice or the right to die as she cannot afford her medical costs anymore.
देखा आपने किस तरह 27 वर्षीय सोनाली मुखर्जी आज अपने ऊपर हुये इस अमानवीय हमले के कारण रोज़ तिल तिल कर जी रही है और ऊपर से विडम्बना यह कि उनको इंसाफ देने वाला भी कोई नहीं !
पिछले कुछ सालों में तेजाब हमले की सैकड़ों वारदातें हो चुकी हैं। तेजाब हमले की ज्यादातर वारदातें मनचलों की करतूत होती है। तेजाब के ये हमले इतने भयानक होते हैं कि किसी की हंसती-खेलती जिंदगी बरबाद हो जाती है।
यही वजह है कि भारत के ला कमिशन ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए अपराधी को सख्त से सख्त सजा देने की अनुशंसा की है। सुप्रीम कोर्ट भी बढ़ते तेजाब हमले को लेकर सख्त रुख अपना चुका है।
भारत में किसी से बदला लेना होता है खासकर लड़कियों से अपराधी या आशिक किस्म के युवक उनके चेहरे पर तेजाब फेंक देते हैं। ऐसा करने से पीडि़त के हाथ आपने आप चेहरे पर आ जाते हैं और पीडि़त का चेहरा, सिर, कान, गला और हाथ बुरी तरह जल जाते हैं। भयानक दर्द के अलावा शरीर के कई अंग, मसलन आंखें, नाक, कान हमेशा के लिए नष्ट हो जाते हैं।
ऐसे अपराध का सबसे भयानक सच यह है कि व्यक्ति अपनी पहचान खो देता है। एक मनुष्य को दूसरे मनुष्य से अलग करता हुआ। अपनी एक अलग पहचान रखता हुआ शरीर का एक ही हिस्सा है- वह है चेहरा और तेजाब हमले के बाद अक्सर यह भयानक हो जाता है। इतना भयानक कि वह किसी को दिखाने लायक नहीं रहता। ऐसे में पीडि़त अपने बाकी बचे जीवन में हर क्षण मरता रहता है।
इस अर्थ में यह अपराध बलात्कार से भी ज्यादा भयंकर है। बलात्कार की शिकार एक लड़की दूसरी जगह जाकर जीवन यापन कर सकती है। पढ़ सकती है। नौकरी कर सकती है। विवाह कर सकती है। घर बसा सकती है, लेकिन तेजाब हमले में अपने चेहरे और जिस्म की कुदरती रंगत गंवा चुकी एक लड़की जीती है तो चेहरे पर नकाब डालकर। वह कितने दिन ऐसे जी पाएगी, यह कोई नहीं जानता। वजह यह है कि जलने पर कोशिकाएं तेजी से नष्ट होती है और अक्सर पीडि़त की असमय मौत हो जाती है।
हमारे यहां तेजाब हमले से जुड़े मुकदमों को भारतीय दंड संहिता की धारा-326 के अंतर्गत देखा जाता रहा है। इस धारा के तहत अपराधी को मामूली सजा दी जाती है। यही कोई दो-तीन साल बस। पर तेजाब हमले की बढ़ती घटनाओं और इस अपराध की गंभीरता को देखते हुए भारत के ला कमीशन ने अनुशंसा की है कि अपराधी को कम से कम दस साल और अधिकतम आजीवन कारावास की सजा देनी चाहिए।
ला कमीशन के अध्यक्ष सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश जस्टिस लक्ष्मण के अनुसार आईपीसी की धारा-326 [गहरी चोट पहुंचाना)] की परिभाषा तेजाब से जलकर भयंकर जीवन जीने के लिए मजबूर होने को खुद में शामिल नहीं कर पाती।
ऐसा कमीशन ने तब कहा, जब तेजाब डाल कर जलाने वाले मामलों में से एक लड़की का मामला सुप्रीम कोर्ट के सामने आया। तेजाब हमले रोकने के लिए याचिकाकर्ता की वकील अपर्णा भट्ट ने बाग्लादेश का उदाहरण देते हुए तेजाब की खुले बाजार में बिक्री और सहज उपलब्धता रोकने की माग की थी।
अपर्णा ने कहा कि देश में तेजाब के हमले बढ़ रहे हैं। यह एक गंभीर अपराध है। पीड़ित की जिंदगी बर्बाद हो जाती है। अदालत घटना के पहले और घटना के बाद का चेहरा देखकर दहल गई। अदालत को वीभत्स हमले के लिए 20 वर्ष की सजा अत्यंत ही कम महसूस हुई। तब सुप्रीम कोर्ट ने ला कमीशन से यह रिपोर्ट मांगी कि क्या मौजूदा कानून तेजाब से पीडि़त लोगों को न्याय दे पाता है?
इसके बाद कमीशन ने सजा बढ़ाने के साथ-साथ यह भी अनुशंसा की कि तेजाब की बिक्री खुलेआम नहीं होनी चाहिए। इसे एक खतरनाक और प्रतिबंधित हथियार की श्रेणी में रखा जाना चाहिए। यह काउंटर पर उपलब्ध नहीं होना चाहिए। यह सिर्फ कामर्शियल और वैज्ञानिक मकसद से बेचा जाना चाहिए।
इस तरह के मुकदमों में अंतरिम और निर्णायक जुर्माना देने की व्यवस्था होनी चाहिए, जिससे पीडि़त अपना इलाज समय रहते करा सकें और दूसरे खर्चे भी कर सके। केंद्र सरकार भी सुप्रीमकोर्ट को बता चुकी है कि महिलाओं पर तेजाब फेंकने की घटनाओं पर अंकुश लगाने के लिए कानून में संशोधन किए जाने की जरूरत है। इस संशोधन की लगभग सभी राज्यों ने वकालत की है। सभी राज्य भी चाहते हैं कि इस बाबत कठोर कानून बनाया जाए, लेकिन केंद्र सरकार यह भी कहती है कि राज्य सरकारें तेजाब की बिक्री को रेगुलेट करने के पक्ष में नहीं हैं। ऐसे में संदेह है कि तेजाब की खुलेआम बिक्री पर रोक लग पाए।
तेजाब हमले के शिकार लोगों के लिए अति संवेदनशील न्यायप्रणाली की व्यवस्था की जानी चाहिए और पराधी को कठोरतम सजा देनी चाहिए। ऐसी सजा, जो दूसरों के लिए सबक हो। किसी को जीते जी मौत से बदतर जिंदगी देने वाले दरिंदे के साथ ऐसा तो करना ही चाहिए।
मौजूदा कानून में अदालतें सिर्फ यह देखती हैं या देख सकती हैं कि क्या तेजाब फेंकने के पीछे इरादा और ज्ञान कि ऐसी चोट पहुंचाई जाए कि मौत ही हो जाए। तेजाब से पीडि़त की मौत निकट भविष्य में नहीं होती है। लिहाजा इसे आईपीसी की धारा 307 के अंतर्गत नहीं लाया जा सकता। पर अब अदालतों का ध्यान इस बात की ओर जा रहा है कि तेजाब हमले का शिकार व्यक्ति किस कदर जीते जी लाश बन जाता है। 

अब समय आ गया है कि संसद भी इस अपराध को पीडि़त और अदालत की निगाह से देखे। साथ ही इस अपराध में जल्द से जल्द कठोर सजा का प्रावधान करे।

आप का क्या कहना है ??

सादर आपका 


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posted by संगीता स्वरुप ( गीत ) at गीत.......मेरी अनुभूतियाँ
तम के गहन बादलों के बीच आज निकली है हल्की सी उल्लसित धूप और मैंने अपनी सारी ख्वाहिशें डाल दी हैं मन की अलगनी पर इन सीली सीली सी ख़्वाहिशों को कुछ हवा लगे और कुछ धूप और सीलन की महक हो सके ...
posted by shikha varshney at स्पंदन SPANDAN
> हमारे पास रविवार शाम गुजारने के लिए दो विकल्प थे. एक बोल बच्चन और एक > कॉकटेल .अब बोल बच्चन के काफी रिव्यू पढने के बाद भी हॉल पर जाकर जेब खाली > करने की हिम्मत ना जाने क्यों नहीं हुई तो कॉकटेल पर ही...
posted by अरुण चन्द्र रॉय at सरोकार
हो जाना है अंत सभी आयुधो का सभी बमवर्षक विमान धराशायी हो जायेंगे बंदूकों की नालियां हो जाएँगी बंद फौजों के बूटों के तलवो में लगी गिट्टियाँ घिस जाएँगी और तोपों के गोले हो जायेंगे फुस्स अंतर की दीव...
गुवाहाटी में जो कुछ भी उस शाम एक बच्ची के साथ हुआ...ऐसी घटनाएं साल दो साल में हमारे महान देश के किसी शहर के किसी सड़क पर घटती ही रहती हैं. बड़े जोरो का उबाल आता है...अखबार..टी.वी...फेसबुक..ब्लॉग पर बड़े ती...
posted by Anju (Anu) Chaudhary at अपनों का साथ 
रेल का एक सफर ....जो बहुत कुछ सोचने पर मजबूर कर देता हैं ......सफर तय हैं ..और मंजिल भी ...पर राह में मिलने वाले लोग अनजान ही रहते हैं हमेशा ....सोच का क्या हैं ...कुछ भी देखो ...वो दिमाग में घूमती हैं .....
posted by डॉ. महफूज़ अली (Dr. Mahfooz Ali) at लेखनी... 
*अभी लौटा हूँ गोरखपुर* से तो रस्ते में कविता लिखी. अच्छा ट्रेन एक ऐसी जगह है जहाँ आपके साथ वेरायटीज़ ऑफ़ घटनाएँ घटती रहतीं हैं. आज हुआ क्या कि हमने देखा कि पैसे में बहुत बड़ी ताक़त होती है ...हम हमेशा जनर...
posted by मनोज पटेल at पढ़ते-पढ़ते 
*इज़त सरजलिक की एक और कविता... * * * * * *उसकी सड़क : इज़त सरजलिक * (अनुवाद : मनोज पटेल) वह भी सपने सजाता था चौरस हुई घास के, स्त्रियों के खुले हुए ब्लाउजों के. नौजवान था वह. भरोसा नहीं था उसे अगले ज...
posted by कमलेश भगवती प्रसाद वर्मा at के.सी.वर्मा 
आदमी डरता है हमेशा अपने इम्तिहान से ,खौफ जदा रहता है खुद के नुकसान से ।ना फ़िक्र है ज़माने की ,ना दहशत है खुदा की ,हमेशा खौफ खाता है ,सिर्फ इन्सान से ।अपनी करतूतों का कोई ख्याल नही उसको ,दूसरो को नसीहत ''काम...
posted by noreply@blogger.com (Vivek Rastogi) at कल्पनाओं का वृक्ष 
जब मैं पहली बार घर से बाहर याने कि किसी दूसरे शहर वो भी इतनी दूर कि जाने में ही कम से कम १८ घंटे लगते थे, जिसमें बीच में अलीगढ़ से बस बदलनी पड़ती थी, चूँकि हमारे अभिभावक उधर की ही तरफ़ के हैं, तो उन्होंने ...
posted by lori ali at आवारगी 
 उसने फूल भेजें हैं.... उसने फूल भेजें हैं फिर मेरी अयादत को एक एक पत्ती में उन लबों की नरमी है उन जमील हाथों की खुश गवार हिद्दत है उन लतीफ़ ...
posted by Arunesh c dave at अष्टावक्र 
साहब अमूमन हमारा मुंह काला होता नही। कारण कि यह शर्म की तरह है, आये तो ठीक, न आये तो ठीक। लेकिन आमिर खान के दलित समस्या के उपर किये कार्यक्रम में जो नंगी सच्चाई सामने आई। उससे मैं नही समझता कि मुंह काला हो...


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अब आज्ञा दीजिये ...
 
जय हिंद !!

9 टिप्पणियाँ:

shikha varshney ने कहा…

क्या कहो ..और क्या होगा कुछ कह कर. बस शर्म आती है इस समाज पर,अपनी इस कानून व्यवस्था पर और इस अपराध में लिप्त उन युवाओं के कुसंस्कारों पर.

संगीता स्वरुप ( गीत ) ने कहा…

कानून तो बनाए जाते हैं लेकिन सख्ती से पालन नहीं किया जाता .... अपराधी को सालों लग जाते हैं अपराधी बताने में ...कई बार तो निरपराध ही घोषित कर दिया जाता है .... काश कुछ कानून सख्त बने और सख्ती से ही उनका पालन हो .... अच्छी प्रस्तुति ...

मनोज पटेल ने कहा…

निश्चित रूप से बहुत सख्त क़ानून होना चाहिए इस अपराध के खिलाफ. जरूरी हस्तक्षेप...
आभार आपका !!

Dev K Jha ने कहा…

बडा गम्भीर मुद्दा है यह...

मुकेश कुमार सिन्हा ने कहा…

ufff!! jindagi me khud hi bahut dukh-dard hai. par fir bhi log iss dard ko dene me kotahi nahi karte... isss!!

beharteen links

Pallavi saxena ने कहा…

कहने को तो बहुत कुछ है मगर कहने से होगा क्या ? लेकिन फिर भी मैं इतना ज़रूर कहूँगी की ऐसा घिनौना अपराध करने वालों के लिए उम्र कैद जैसी सजा कुछ भी नहीं, मेरे हिसाब से तो उनके भी किसी न किस अंग पर तेज़ाब डाल कर उन्हे भी उस से होने वाली पीढ़ा और नुकसान का एहसास करवाया जाना ही सबसे अच्छी सजा होगी। एक आद अपराधी के साथ भी यदि ऐसा होगया, तो मुझे पूरी उम्मीद हैं कि आगे से लोग ऐसा कुछ करने से पहले सौ(100)बार सोचने पर ज़रूर मजबूर हो जाएँगे।

अजय कुमार झा ने कहा…

बहुत ही चिंताजनक हालात हैं , अफ़सोस और क्रोध इसलिए भी है कि साठ सालों के बाद भी आज देश में ये स्थिति है । सच कहा आपने अब बहुत जरूरी हो गया है कि इस अपराध को जघन्य और क्रूर अपराध मानते हुए इसके लिए कठोरतम सज़ा का प्रावधान किया जाए । सार्थक प्रस्तावना है शिवम भाई । सार्थक बुलेटिन ।

rashmi ravija ने कहा…

बहुत ही दिल दहला देने वाले वाकये का जिक्र किया है...
ये तो जीते जी किसी को तिल तिल कर मारने जैसा है...
पाकिस्तान में भी ऐसी घटनाएं बहुत आम हैं..भारत से कहीं ज्यादा..एक documentary देखी थी.जिसमे दिखाया गया था .. वहाँ की लडकियाँ कैसे अपने जीवन के बिखरे सूत्र फिर से संजो कर जीने की कोशिश कर रही हैं....तब से ही इस पर एक पोस्ट लिखने की सोच रही थी...जल्द ही लिखती हूँ..
सारे लिंक हमेशा की तरह बहुत ही अच्छे हैं...शुक्रिया

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

सुन्दर सूत्र...

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