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रविवार, 1 जुलाई 2012

हँसते और हंसाते रहिये...ब्लॉग बुलेटिन

हँसते रहिये.. और हंसाते रहिये, मौज कीजिये और सबको खुश रखिये... देव बाबा का पुराना ज्ञान है की आराम बड़ी चीज है चद्दर तान के सोयिये।. वैसे हंसने और हंसाने की इस कला को आखिर किसने शुरू किया। आखिर चुटकुलों का इतिहास आखिर है क्या। हर साल 1 जुलाई को पूरी दुनिया सेलिब्रेट करती है इंटरनेशनल जोक डे। यानी हंसने-हंसाने का एक खास दिन। तो फिर हो जाए तैयारी इस फनी सेलेब्रेशन की..!

नहीं चाहिए पैसे, नहीं चाहिए गिफ्ट, मिठाइयां, चॉकलेट। बस मुझे चाहिए तो केवल प्यारे-प्यारे जोक्स, जो हंसा दें जी भर के और कर दे मस्ती से सराबोर। आप भी इस बात से तो जरूर सहमत होगे। सचमुच, जब कभी मोबाइल सेट पर जानदार जोक्स पढ़ने को मिलते हैं, तो आप चाहते हैं कि उसे जल्द से जल्द सबको पढ़ा दें।
इसको पढ़ाया, उसको पढ़ाया, मम्मा-पापा, जाने-अनजाने दोस्त, हर किसी को वह मैसेज हम तुरंत भेज देते हैं। क्यों? हंसने-हंसाने के लिए न।

वैसे, डोंट यू थिंक कि जहां इतने सारे प्राब्लम्स हैं, ऐसे माहौल में हर कोई थोड़ा कूल हो जाए, तो हो सकते हैं बड़े बदलाव। और यह सब हो सकता है खूब हंसने-हंसाने की आदत डालने से। आफ्टर ऑल लाफ्टर इज द बेस्ट मेडिसिन। खैर, नो सीरियस बातें। बस इतना कहेंगे कि लाफ, लाफ..लाफ लाउडली।

[लाफ्टर के फास्टर फैक्ट्स]
* जोक के कॉन्सेप्ट को जन्म दिया एंशिएंट ग्रीस के बाशिंदे पालामेडस ने।
* कॉमेडी क्लब भी सबसे पहले शुरू हुआ ग्रीस में। यह समय था 350 बीसी का। इस कॉमेडी क्लब का नाम था 'ग्रुप ऑफ सिक्सटी'।
* हंसना-हंसाना इम्यून सिस्टम को करता है दुरुस्त। इम्यूनोग्लोबिंस, नेचुरल किलर सेल्स और टी सेल्स में होता है इजाफा। दरअसल, इन्हीं के बदौलत हमारी बॉडी इन्फेक्शन और ट्यूमर्स से फाइट कर सकती है।
* जापानी कहावत है हंसी के साथ समय गुजारने का अर्थ है ईश्वर के साथ समय गुजारना। यानी हंसी में है सबसे बड़ी खुशी।
* अमेरिकी मोटिवेटर अर्नाल्ड ग्लासगो के मुताबिक, लाफ्टर एक दवा है, जिसका कोई साइड इफेक्ट नहीं होता। आपने देखा कि जोक केवल फन और मस्ती के लिए नहीं होते, ये वास्तव में मदद करते हैं हमें मेडिकली और इमोशनली फिट करने में।

 (इस पोस्ट को बुरा-भला से साभार लिया गया है: )

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आसमां की रेत-घड़ी Puja Upadhyay at लहरें 

कभी एक कहानी लिखने बैठी थी जिसमें मॉनसून था...लड़का था एक...टपकती छतों के नीचे खड़े होकर कुल्हड़ में चाय पीती लड़की थी...भीगे दुपट्टे से छूटा रंग था...कागज़ की नावें थीं...बोतल में बंद चिट्ठियां...अब बस शीर्षक रह गया है...बाकी पूरी कहानी धुल गयी. #तुम्हारे लिए --- *Of delays and more...* क्या कुछ नहीं आता लौट कर...मॉनसून भी तो हर साल आता है...बस एक साल देर से आया थोड़ा...उसी साल मेरे जन्मदिन पर तुम मेरे शहर में नहीं थे. तो बारिशें भी तुम्हारे साथ लेट दाखिल हुयीं थी जिंदगी में. करीने से लगे क्रोटन के पौधे पानी में भीगते हुए उदास हो गए थे...महीने भर से तुम्हारे इं... more » 
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डबल सेंचुरी का बुखार - २ -  abhi at मेरी बातें 

(पिछली पोस्ट से जारी...) मेरे ब्लॉग में अधिकतर पोस्ट पर टिप्पणियों को मजेदार बनाने के श्रेय जाता है प्रशांत और स्तुति को...जिसमे कभी कभी अजय भैया भी शामिल रहते थे.लेकिन मजाक के अलावा स्तुति कभी कभी मेरे ब्लॉग पर कुछ संजीदा टिप्पणी भी कर देती थी, और अब स्तुति की उन टिप्पणियों को देखता हूँ तो मुस्कराहट आ जाती है चेहरे पर...जैसे मेरी पोस्ट "ऐसे ही कुछ, एक छोटी सी बात" पर स्तुति का कमेन्ट पढ़ अभी चेहरे पर एक मुस्कान आ गयी है.स्तुति ने लिखा था : * * *"छोटी छोटी बातों में खुशियाँ खोजने वाले ज्यादा खुश रहते हैं. ऐसे ही हमेशा मुस्कुराते रहना मेरे दोस्त.* * * स्तुति ने जो टिप्पणी में ... more »

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पीले गुलाब सी लड़की  रश्मि at रूप-अरूप

ऐ पीले गुलाब सी लड़की क्‍या बात नहीं करोगी मुझसे.... दूर देश के राही ने हौले से कहा लड़की के कानों में सुनकर लड़की शरमाई मन ही मन मुस्‍काई और देखती रही कहकर जाने वाले की पीठ को देर तक कि‍ जाने फि‍र इस अनजान चेहरे से कभी मुलाकात हो कि‍ न हो..... मगर वो लौटा हालांकि‍ दि‍न काफी गुजर गए थे फुसफुसाया आकर उसने लड़की के कानों में सुनो.....थम सी गई हो मेरे दि‍ल की दहलीज पर आकर अब इंतजार नहीं होता मेरी जिंदगी के आंगन में अब सिर्फ पीले गुलाब लहलहाते हैं और कानों में एक ही नाम दुहराते हैं अब चल भी दो मेरे साथ.... सुनकर लड़की घबराई कहा.....इत्‍ती दूर है तुम्‍हारा देश और एकदम अनजान तुम एक गुलाब लग... more »

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जौं न होत जग जनम भरत को....(मानस के रोचक प्रसंग) (Arvind Mishra) at क्वचिदन्यतोSपि...

रामचरित मानस एक आदर्श परिवार, समाज और व्यवस्था की रूप रेखा सामने रखता है -जिसे 'रामराज्य' का संबोधन दिया जाता है। यद्यपि यह रामराज्य कई विवेचकों के लिए यूटोपिया का पर्याय बना है। मध्ययुगीन संत कवि तुलसी का प्रादुर्भाव तब होता है जब घोर तार्किकता और निःसंगता की तूती बोल रही थी और कबीर का उद्धत घोष - कबीरा खड़ा बाज़ार में लिए लुआठीहाथ जो घर फूंके आपना चले हमारे साथ लोगों को घर बार से बाहर निकालने का आह्वान दे रहा था - तुलसी ऐसे में टूटते परिवार और खंडित आस्था के मंडन को अवतरित होते हैं। आज मानस में एक भाई के रूप में भरत के चरित्र चित्रण के कुछ अंश आपके सामने रखना चाहता हूं। राम क... more »

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युग ज़माना - नए दौर की एक ज़रूरी पत्रिका  नुक्‍कड़ at नुक्कड

हम उन तमाम किस्सों को कहेंगे जिन्हें नहीं कहा गया है और उन किस्सों को कहेंगे जिन्हें बार-बार कहे जाने के बावजूद अनसुना कर दिया गया है। हम नई बातें करेंगे और पुरानी बातें भी करेंगे। हम उन सब बातों पर बातें करेंगे जिससे यह युग-ज़माना खराब होता जा रहा है। हम उन बातों को सामने लाने की कोशिश करेंगे जिससे यह युग-ज़माना बेहतर हो सके। यह युग-ज़माना आपका है, इसलिए जिम्मदारी भी आपकी है। यह मंच आपका है । आपके पास अगर हैं कुछ ऐसी बातें जो होनी चाहिए, तो आइए करते हैं उन बातों को यहां साझा.. कहानी, कविता, लेख, संस्मरण, साक्षात्कार, रिपोर्ट, खबरें, प्रेस विज्ञप्ति, फोटो सब कुछ भेजें, जो चाहे सो भे... more »

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"एक दिन कुँवर प्रणव सिंह के साथ" (डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक') डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री मयंक (उच्चारण) at उच्चारण

*सितारगंज उपचुनाव के लिए मा.मुख्यमन्त्री विजय बहुगुणा के * *चुनाव प्रचार में सरकार के कई विधायक शामिल हुए * *और उनके लिए वोट माँगे।* ** *आज सुबह से ही सितारगंज में * *कांग्रेस के चुनाव कार्यालय में गहमा-गहमी थी। * * * *मैं भी अपने मित्र और प्रदेश कांग्रेस के व्यापार प्रकोष्ठ के उपाध्यक्ष * *वीरेन्द्र टण्डन के साथ कार्यालय में पहुँच गया। * *यहाँ सबसे पहले हमारी मुलाकात गढ़वाल के विधायक * *सुबोध उनियाल से हुई। * * * *तभी मुझे हरिद्वार के विधायक और वन विकास निगम के अध्यक्ष * *मा. कुँवर प्रणव सिंह चैम्पियन का फोन आया कि * *शास्त्री जी मैं भी सितार गंज पहुँच रहा हूँ। * * * *उनकी प्रैस वार्ता की ... more »

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नरकटियागंज (बिहार) की खबर (1 जुलाई)  Rajneesh K Jha at आर्यावर्त

भले ही बिहार सरकार गरीबो के उत्थान व विकास के लिए विभिन्न कल्याणकारी योजनाओ को संचालित कर आम लोगों को सशक्त बनाने की दिशा में प्रयासरत है । लेकिन विभाग व विभागीय अधिकारियो की उदासीनता की वजह से आम लोगो को सरकारी योजनाओ का पर्याप्त लाभ नही मिल पा रहा है। इतना ही नही ंआम जन सरकारी कल्याणकारी योजनाओं से वंचित हो रहे है। इसका सीधा उदाहरण है नरकटियागंज प्रखण्ड जहां कन्या विवाह योजना की राशि का वितीय वर्ष 2011-2012 का आवंटन अब तक प्राप्त नही हो पाया है। जिस कारण प्रतिदिन सैकड़ो लाभार्थी प्रखण्ड कार्यालय का चक्कर लगा काटने को विवश है। प्रखण्ड कार्यालय में कार्यरत प्रभारी सहायक और कन्या व... more »

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तुम्हें याद करना.....ना तो मेरी आदत ना ही मजबूरी  rajendra tela at "निरंतर" की कलम से.....

तुम्हें याद करना ना तो मेरी आदत ना ही मजबूरी वो जीने के लिए आवश्यकता मेरी ह्रदय को धड़कने के लिए रक्त साँस के लिए हवा मन को जीवित रखने के लिए तुम्हें याद करना सपनों में देखना मेरे लिए आवश्यक है ह्रदय धडक भी ले साँस भी आ रही हो अगर मन निर्जीव हो तो मैं जीवित कैसे हो सकता हूँ फिर खुद को जीवित रखने के लिए अगर तुम्हें याद करता हूँ सपने में देखता हूँ तो क्या अनुचित करता हूँ तुम्हें तो प्रसन्न होना चाहिए मेरे साथ होते हुए बिना भी मेरे जीवन की कारक हो बिना तुम्हारी यादों के मेरा अस्तित्व ही नहीं है 

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Life is Just a Life: लावारिस गम Lavarish Gam  Neeraj Dwivedi at All India Bloggers' Associationऑल इंडिया ब्लॉगर्स एसोसियेशन

Life is Just a Life: लावारिस गम Lavarish Gam: बूंदों से आँसू नैना हैं बदरा सूखे हुये ताल सी जिंदगी में , फूलों के बिन एक पागल सा भँवरा , कि विक्षिप्त सा और मदहोश सा ही , क...
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चाय:-  dheerendra at काव्यान्जलि ... 

-: चाय :- आज की जनसंख्या में चाय पीने का माहौल है, कई रंग कई ब्रांड में बिकता,मेरी बहुत पोल है! लक्ष्मण, को बाण लगा, संजीवनी का रोल था, आज बच्चा पैदा होते ही चाय पिऊगाँ बोलता! पीने में बहुत बढ़िया हूँ , मेरा अपना टेस्ट है मेहमान नवाजी केलिए बढ़िया सस्ता बेस्ट है कई से मेरी रिश्तेदारी है, काफी मेरी सौतन है, चुस्ती और मस्ती में, मुझ से अच्छा यौवन है! हर घर की इज्जत ढकने में मेरा बड़ा रोल है, आज की जनसँख्या में चाय पीनेका माहौल है!

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किरोड़ीमल कॉलेज दिल्ली मानता हैं की बेटी के बच्चे आप पर कोई अधिकार नहीं रखते हैं रचना at नारी , NAARI

दिल्ली विश्विद्यालय के कॉलेज में एक प्रावधान हैं की जिस कॉलेज में आप प्राध्यापक या प्राध्यापिका हैं उस कॉलेज में आप के वार्ड यानी बच्चे के लिये एक सीट होती हैं जो कट ऑफ से कम अंक होने पर भी उसको एडमिशन दिलाती हैं . ये उसी तरह हैं जैसे सरकारी नौकरी में कई प्रावधान हैं पत्नी और बच्चो को नौकरी मिलने के . जी हाँ ये एक प्रकार का रेसेर्वेशन ही हैं लेकिन इसको प्रेव्लीज कहा जाता हैं क्युकी माना जाता हैं की साल दो साल मे कोई एक सीट किसी कॉलेज में इस तरह भरी जाती हैं . अब जानिये किरोड़ीमल कॉलेज दिल्ली का हाल , यहाँ भी ये प्रावधान हैं और इसके साथ साथ ये भी प्रावधान हैं की प्राध्यापक या प्राध्य... more »

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दुनिया में कंजूस आदमी सबसे दयालु इन्सान होता है -- क्या आप भी हैं  डॉ टी एस दराल at अंतर्मंथन

पूर्वी दिल्ली के एक शानदार मॉल की सबसे उपरी मंजिल पर खड़ा मैं देख रहा था नीचे की चहल पहल -- आते जाते , हँसते मुस्कराते , इठलाते चहकते --- युवा नर नारी , कोई हाथों में हाथ डाले , कोई कोने में खड़े होकर चिपियाते, फुसफुसाते ( कड्लिंग ), -- *लेकिन सब खुश -- बाहर की दुनिया से बेखबर .* कितनी अजीब बात थी -- बाहर की दुनिया में कहीं पानी नहीं , कहीं बिजली -- पेट्रोल ज्यादा महंगा या सब्जियां -- गर्मी से परेशान काम पर जाते लोग या ट्यूशन के लिए जाते छात्र . लेकिन यहाँ बस एक ही दृश्य -- *सब खुश , मग्न , चिंतार**हित, पूर्णतया मित्रवत .* कुछ पल के लिए खो सा गया अतीत की यादों में . याद आने लगा ... more 
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मित्रों... तो मौज लीजिए... और "आग लगे बस्ती में हम रहें मस्ती में" के गुरु मंत्र का पालन कीजिए....

सादर आपका
-देव

3 टिप्पणियाँ:

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

हँसना हँसाना तो पुण्य का कार्य है..

रचना ने कहा…

thanks

शिवम् मिश्रा ने कहा…

बढ़िया बुलेटिन देव ... ज़िन्दगी मे कभी कभी ऐसे मोड भी आ जाते है जब हँसना जैसी सहज क्रिया भी बहुत कठिन लगने लगती है ... कुछ ऐसा है दौर आजकल चल रहा है !

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