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सोमवार, 23 अप्रैल 2012

जै हो इंडियन पैसा लीग..... ब्लॉग बुलेटिन


सभी मित्रों को देव बाबा की राम राम... 
आजकल आई पी एल चालू है, टीवी बौराया हुआ है.... मनोरंजन के नये साधन आ गये हैं, लेकिन खेल के नाम पर यह बाज़ार, और इतना बडा तमाशा.... भाई हम क्या कहें अब इसके बारे में.... सोचा मुम्बई के एक मैच का टिकट कटाया जाये सो वानखेडे स्टेडियम के मैच के लिए इन्टरनेट से बुकिंग करनें का सोचा। 

लीजिए स्टैंड के हिसाब से कीमत का कुछ यूं हिसाब बना
  • गावस्कर स्टैंड: १२५० रुपये
  • नार्थ स्टैंड: २५०० रुपये
  • तेंदुलकर स्टैंड: २५०० / ६२५० रुपये
  • वीनू माकंड स्टैंड: १२५० रुपये
  • ग्रांड स्टैंड: ६२५० रुपये
अब साहब वानखेडे की कुछ क्षमता लगभग पचास हज़ार की है, तो फ़िर एक मैच से केवल टिकट की आमदनी कितनी होगी, फ़िर टीवी राईट्स, प्रचार, कितनें ब्रांड के उत्पाद.... अब एक खिलाडी को देखिए.... उसकी जर्सी, हेलमेट, दस्तानें, जूते, बैट हर चीज़ पर कोई न कोई ब्रांड अपना प्रचार दिखा रहा है। 
दुनियां के किसी भी खेल टूर्नामेंट से अधिक वेतन (केवल एनबीए आईपीएल से अधिक वेतन देता है) लगभग चार करोड डालर की औसतन वेतन देने वाली यह सीरीज़ वाकई पैसा लीग है।  कुल मिलाकर चार बिलियन डालर की कुछ ब्रांड वैल्यू और चकाचौंध करनें वाली हिन्दुस्तानी लीग सारे दुनियां भर के ब्रांड के लिए एक बाज़ार है ।  तो मित्रों, वह दिन दूर नहीं जब आईपीएल दुनियां में फ़ुटबाल के चैम्पियन्स लीग को पछाड कर पहले स्थान पर चला जायेगा..... वैसे भारत जैसे गरीब देश में पैसे की यूं नुमाईश कहां तक तर्क संगत है यह चर्चा का विषय है.... और वैसे भी तमाशा क्रिकेट से क्रिकेट का भला हो न हो... बीसीसीआई और भारत सरकार के तो वारे न्यारे हैं ही.....

चलिए तो हिन्दुस्तान की अमीर जनता को पैसे लुटानें दीजिए और गरीब सरकार को टैक्स जुटानें दीजिए और हम अपनें बुलेटिन को आगे बढाते हैं... 

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आप क्यूँ रोये....आवाज़ 'अदा' की फिल्म -वो कौन थी आवाज़-लता मंगेशकर गीत-राजा मेहँदी अली खान संगीत-मदनमोहन  जो हमने दास्तां अपनी सुनाई, आप क्यों रोए तबाही तो हमारे दिल पे आई, आप क्यों रोए हमारा दर्द-ओ-ग़म है ये, इसे क्यों आप सहते हैं ये क्यों आँसू हमारे, आपकी आँखों से बहते हैं ग़मों की आग हमने खुद लगाई, आप क्यों रोए बहुत रोए मगर अब आपकी खातिर न रोएंगे न अपना चैन खोकर आपका....

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नकटा मंदिर ---- ललित शर्मा  ब्लॉ.ललित शर्मा at ललितडॉटकॉम 

प्रारंभ से पढें चाय आप अभी पीयेगें या स्नानाबाद? सुनकर आँख खुली तो बाबु साहब पूछ रहे थे। घड़ी साढे पांच बजा रही थी। मैने कहा - अभी ही, स्नान तो उसके बाद में ही होगा। बाबु साहब चाय बनाकर लाते हैं और अपनी सुबह हो जाती है। बाबु साहब तैयार हो गए हैं और हम भी थोड़ी देर में तैयार हो लेते हैं। घोड़ी भी दाना-पानी लेकर तैयार हो गयी यात्रा के लिए। आज हमारा पहला पड़ाव जांजगीर का विष्णु मंदिर है। बहुत दिनों से तमन्ना थी इसे देखने की। परन्तु सुअवसर आया ही नही था। आज मुहूर्त निकला इसे देखने का। हम 6 बजे जांजगीर के लिए चल पड़े। सूर्योदय हो चुका था। अधिक समय होने पर गर्मी झेलने को तैयार रहना था। वि... more » 

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माधव की साइक्लिंग  माधव( Madhav) at माधव

*माधव आज कल साइकिल खूब चला रहे है . स्कुल से आते ही आधा घंटा साइक्लिंग होती है , फिर लंच होता है फिर छोटा भीम देखते है , उसके बाद जनाब थोड़ी झपकी लेते है . शाम को नींद खुलने के बाद फिर साइक्लिग़ होती है . माधव की साइक्लिग़ से मेरा काम बढ़ गया है . सायकिल में रोज कुछ ना कुछ खराबी आती है जिसे ठीक कराना मेरा मौलिक कर्तव्य बन जाता है . हर दो दिन के बाद टायरो में हवा भी भरवाना पड़ता है . * * * *खैर **साइक्लिंग करते समय जनाब बहुत खुश होते है और उन्हें खुश देखकर मै भी .........* * * ** ** * * ** * * ** * * ** * * * * * * * * * * * * * * 

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* * *न जाने कितने* *हमारे अपने ही लोग,* *हमारे बहुत बहुत अपने...* *बड़े-बड़े झूठों को * *लिए हुए शान से* *एक लम्बी सी * *मुस्कान के साथ* *हमारे ईर्द-गिर्द ही * *मिल जाते हैं, * *जो हमारे सामने ही * *अपना-अपना झूठ... * *बड़ी सफाई से पेश कर* *बहुत शान के साथ * *हमें और दूसरों को * *खुश कर देते हैं !* *और हम सब * *उनके झूठ को * *समझते हुए भी * *चुपचाप स्वीकार * *कर लेते हैं,* *जबकि सच्चाई क्या है....?* *हमें भी पता होती है !* *और सच्चाई * *कितनी चोट पहुंचाती है...* *ये हम भी जानते हैं !* *हम नहीं चाहते कि * *वो इस दौर से गुजरें...* *किसी तरह की शर्मिंदगी * *दूसरों के बीच **महसूस करें ..!* ** ... more »

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ना चाहो तो मत पहचानना हमें  डा.राजेंद्र तेला"निरंतर"at "निरंतर" की कलम से..... 

जब भी मिलो ना चाहो तो मत पहचानना हमें दुनिया को दिखाना मत अनजान समझ दो बात कर लेना हम खामोशी से तुम्हारे खूबसूरत चेहरे को करीब से देख लेंगे मन ही मन खुश हो लेंगे दिल को सुकून दे देंगे 

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माथा खाने से परहेज़ करें प्लीज़...........  AlbelaKhatri.com at Albelakhatri.com 

*प्रिय भक्तजनों ! मौसम में बहुत तेज़ी से बदलाव हुआ है . हाल तक शाल ओढनी पड़ती थी और अब बनियान भी उतार फेंकने को मन करता है . इतनी तीव्रता से गर्मी ने अपना जलवा दिखाना शुरू कर दिया है . इसी गर्मी के कारण निर्मल बाबा जी को भी पसीने छूट गये हैं क्योंकि उनके अपने कई भक्तजन गरमी में आकर केस वेस कर रहे हैं, इसी गरमी के कारण अन्ना हजारे की टीम आपस में ही लड़ पड़ी है और बाबा रामदेव के साथ मिल कर आन्दोलन चलाने के वादे से मुकर गई है, इसी गरमी के कारण लालू यादव की भैंसों ने दूध देना बन्द कर दिया है यह कहते हुए कि जिसे कोई वोट ही नहीं देता उसे हम दूध क्यों दे... more »

 

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"दोहे-काहे का अभिमान" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')  डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री मयंक (उच्चारण) at उच्चारण

*चार दिनों की ज़िन्दगी, काहे का अभिमान।*** *धरा यहीं रह जाएगा, धन के साथ गुमान।।*** *जिनका सरल सुभाव है, उनका होता मान।*** *लम्पट, क्रोधी-कुटिल का, नहीं काम का ज्ञान।।*** *धन के सब स्वामी बने, नहीं कहावें दास।*** *जो बन जाते दास हैं, रहते वही उदास।।*** *कर्म बनाता भाग्य को, यह जीवन-आधार। *** *कर्तव्यों के साथ में, मिल जाता अधिकार।।*** *हित जिससे होवे जुड़ा, वो ही है साहित्य।*** *सभी विधाओं में रहे, शब्दों में लालित्य।।*** 

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 मन आइना ..  RITU at कलमदान

* कई बार आइना देख कर भी खुद को न पहचाना कभी * * तू आईने में नहीं ,देख अपनेआप में भी आइना कभी * *नित भरमाता रहा ,इतराता रहा ,हर्षाता रहा * *सोचे आइने में प्रतिबिम्ब रहा दिखाई * *करता रहा श्रृंगार बदल बदल कर रूप * *पढता रहा अपने अक्स पर आकर्षण की लिखाई * *पर न अपना मन पढ़ पाया * *न ही अंक में स्वयं दिया तुझे दिखाई * *तू हरी में तुझ में ही हरी * *मन गागर में ही दिख जाए स्वयं की परछाई * * * (चित्र गूगल से )

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हम स्कूल में इंसान बना रहे हैं या फिर जानवर? सुमित प्रताप सिंह at सुमित प्रताप सिंह 

हमारे समाज में अपराधों की फेहरिस्त लगातार लंबी हो रही है.अगर हम इस का कारण जानने की कोशिश करेंगे तो आम तौर पर बेरोजगारी,अशिक्षा , गरीबी,पिछड़ापन इस के मुख्य कारण नज़र आते हैं.परन्तु आज के समय में इन कारणों से हटकर भी कुछ अन्य कारण है जिसने हमारे समाज कि नीव को हिला दिया है और हमारे लिए एक समस्या का रूप ले चुके है.देश में किसी भी अपराध की अधिकतम सज़ा उम्र क़ैद और फांसी निर्धारित है पर मैं जिन अपराधों के बारे में बात कर रही हूँ वो बच्चों से जुडे है और इन अपराधों की जगह स्कूल बन गए हैं....आज हम स्कूल के छात्रों द्वारा अपने ही सहपाठी का क़त्ल करना ,अपने शिक्षकों के साथ अभद्रता,... more » 

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शिल्पा मेहता रोइए मत - Objection sustained ZEAL at ZEAL

ब्लॉगजगत का सबसे दुखद पहलू ये है की लोग टिप्पणियों की लालच में, अपनी दूकान चलाने के लिए, अच्छे ब्लॉगर्स के खिलाफ लेख लिखते हैं। वहां बहुत से भडासी जमा होकर प्रवचन बांटते हैं। कोई रामलीला छोड़कर आ जाता है, कोई कृष्ण-लीला , तो कोई "सीता-चर्चा" छोड़कर वहीँ अपनी चौपाल जमा लेता है। और फिर चलते हैं दौर प्रवचन के। सब एक से बढ़कर एक संस्कारी वहीँ जुट जाते हैं और संतों की तरह प्रवचन करके दूसरों को छोटा बनाने का अथक प्रयास करते हैं । अनवर जमाल और अयाज़ अहमद की श्रृंखला में अब एक नया नाम जुड़ गया है महिला ब्लॉगर "शिल्पा-मेहता" का जिनमें देश-भक्ति कूट-कूट कर भरी हुयी है। संकृति और सभ्यता की रखवाली... more » 

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तथास्तु और सब ख़त्म !!! रश्मि प्रभा... at मेरी भावनायें...

रब बने रहना आसान नहीं असंभव को संभव बनाने से मुक्ति ही नहीं मिलती एक बार भी चूके - तो प्रश्नों के अचूक वाणों की शय्या पर रात गुजरती है !!! अखंड दीप याद दिलाने को जलाये जाते हैं रब का दिया रब को दिखाकर अपनी पूजा की इति माननेवाले रब को चैन से सोने नहीं देते हैं ! ख्वाहिशों उम्मीदों की फेहरिस्त कभी ख़त्म ही नहीं होती हर दिन इजाफा होता है और हर इजाफे के साथ रब की स्थिति नगण्य ! वो तो भक्त की हिम्मत है न कि वह रब को निराहार नहीं रखता... कितनी हास्यास्पद बात है रब के दिए से रब पर ही एहसान ! ..... मैंने देखा है रब को करवटें बदलते मेरी हर करवट पर वह साथ रहा है शारीरिक पीड़ा हो या मा... more » 

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महसूस करें हिंदी ब्लॉगिंग की ताक़त को.... रवीन्द्र प्रभात at नुक्कड़

दिनांक 21.04.2012 को कैनविज टाइम्स के राष्ट्रीय संस्करण में पृष्ठ संख्या 9 पर हिंदी ब्लॉग से संवंधित मेरा वर्ष-2011 का विहंगम ब्लॉग विश्लेषण अखबार के पूरे पृष्ठ में प्रकाशित हुआ है .... *शीर्षक है : *आम आदमी की आवाज़ बुलंद कर रहे हैं ब्लॉग यदि फोटो पर किलिक करके पढ़ने में असुविधा हो रही हो तो इस लिंक पर जाकर पूरा आलेख आप पढ़ सकते हैं : *ब्लॉग परिक्रमा पर :* ब्लॉगिंग यानी आम आदमी की बुलंद अभिव्यक्ति *अपनी माटी पर :* बिन ब्लॉगिंग सब सून उपरोक्त आलेख को केवल पढ़ें और हिंदी ब्लॉगिंग की ताक़त को महसूस करें, टिप्पणी की आवश्यकता नहीं !

 

 


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देश और प्रदेशों की जनता अपना मत दे कर जनप्रतिनिधियों का चुनाव करती हैं ताकि उन्हें ऐसी सरकार मिले जो देश और प्रदेशों में अमन-चैन बनाये रखे, भ्रष्टाचार को खत्म करे, मँहगाई को बढ़ने न दे, उग्रवाद और आतंकवाद का सफाया करे। पर जब से देश को स्वतन्त्रता मिली है, देश और राज्यों में ऐसी एक भी सरकार नजर नहीं आई है जिसने जनता की उपरोक्त अपेक्षाओं को पूरा किया हो, उल्टे भ्रष्टाचार, मँहगाई, उग्रवाद और आतंकवाद आदि में दिन दूनी और रात चौगुनी गति से वृद्धि ही होती चली गई है। भ्रष्टाचार में तो सरकारों में बैठे हुए जनप्रतिनिधी स्वयं ही लिप्त नजर आते रहे हैं, ऐसे में मँहगाई न बढ़े तो और क्या हो? उग्रवाद... more »

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woman and use of symbols  alok chantia at कानपुर यूनिवर्सिटी टीचर्स ब्लॉग असोसिएसन

यह एक दुःख का विषय है कि हम औरत को मुक्ति के नाम पर गलत रास्तो का प्रतिनिधि बनाना चाहते है मुझे नही मालूम कि मेरी माँ ने कभी सिंदूर लगा कर अपने को गुलाम समझा हो बल्कि उनके मन में अपने पति के साथ होने का एहसास रहता है , इस के अलवा जब बात किसी मद्दे के गलत सही की हो तो गंभीर चिंतन होना चाहिए | सिंदूर लगा कर एक महिला को गुलाम बनाने के बजाये पुरे समाज के सामने उसकी सामजिक स्थिति के बारे में बता दिया जाता है क्योकि औरत को पुरुष के विपरीत माँ बन ने का गौरव प्राप्त है , झा सिंदूर यह बता देता है है की विधिक रूप से यह महिला किसी की पत्नी है वही वह उसे किसी भी अनावश्यक प्रश्नों से बचा लेता ह... more »

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सिने-पहेली # 17 (जीतिये 5000 रुपये के इनाम)  at रेडियो प्लेबैक इंडिया

*सिने-पहेली # 17 (23 अप्रैल, 2012) * नमस्कार दोस्तों, 'सिने पहेली' की १७-वीं कड़ी में मैं, सुजॉय चटर्जी, आप सभी का फिर एक बार स्वागत करता हूँ। दोस्तों, 'सिने पहेली' में इस सप्ताह हमारे साथ तीन प्रतियोगी और जुड़े हैं, इनमें एक हैं नई दिल्ली से शुभ्रा शर्मा (जो आकाशवाणी की जानी-मानी समाचारवाचिका भी हैं), दूसरी हैं दुबई से कृतिका, और तीसरी हैं पटना की राजेश प्रिया। आप तीनों का 'सिने पहेली' में बहुत-बहुत स्वागत है और आपसे अनुरोध करते हैं कि आगे भी नियमित रूप से 'सिने पहेली' में भाग लेते रहिएगा और कोशिश कीजिएगा कि 'सिने पहेली' के महाविजेता बन कर 5000 रुपये का इनाम अपने नाम कर लें।... more »

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छेनी को आदत है  मनोज कुमार at मनोज

*छेनी को आदत है*** *श्यामनारायण मिश्र*** * * *दूर कन्दराओं से*** *पुरखों के दिए हुए*** * आदिम गण-गोत लिये*** * हम चचेरों के*** * शहर पहुंचे।*** * जीवन की जोत लिये*** * हम अंधेरों के*** * शहर पहुंचे।*** *कहीं किसी कोने में*** *सिर्फ़ सांस लेने को*** *सांसत से निकलें तो*** * हम अपना सूर्य उगा लेंगे।*** *सदियों से कोल्हू में*** *जुते हुए लोगों के*** *माथे में सूर्यमुखी मंत्र जगादेंगे।*** *पत्थर की घाटी से*** *रिसे हुए जीवन के*** *आदिम रस-स्रोत लिए*** * हम सपेरों के*** * शहर पहुंचे।*** *सारी सृजनात्मक*** *पीड़ाएं पीकर हम*** *फेकें... more »

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हेट स्टोरी -एक "पर्दाफाश" फिल्म! (Arvind Mishra) at क्वचिदन्यतोSपि... 

हेट स्टोरी एक 'पर्दाफाश फिल्म' है- जिस्म फरोशी ही नहीं यह दिल्ली 'सल्तनत' की परदे के पीछे की कई कारगुजारियों का भी पर्दाफ़ाश करती है..केवल एक इरोटिका फिल्म के रूप में इसे देखना फिल्म का अवमूल्यन है . मैंने यह फिल्म कल ही यानी तब देखी जब एक सेक्स वीडिओ की धूम फेसबुक पर मची हुयी है जिसमें एक ऊंचे ओहदे पर नियुक्ति की सिफारिश लेने के लिए शरीर के सौदे का बारह मिनट का पूरा एक्सपोजर है . इस पृष्ठभूमि में अचानक ही मुझे यह फिल्म जंच गयी -यह वह सब कुछ एक्सपोज करती है - सत्ता ,पावर, सेक्स,औद्योगिक घरानों और भ्रष्ट राजनीतिज्ञों की मिली भगत,दलाली, भारी भ्रष्टाचार ,सरकारी इमदाद की लूट ,विदेश... more » 

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मेरठ में 25 अप्रैल को एक गिलास ठंडा पानी सांप्रदायिक हिंसा का सबब बन गया। मेरठ के नजदीक काज़ीपुर गाँव के दो रहवासी गाँव की छोटी मस्जिद में पहुँचे और पीने के लिए पानी माँगा। उनसे कहा गया कि वे मस्जिद प्रांगण में लगे नल से पानी पी सकते हैं। परंतु उन्होंने ठंडे पानी की माँग की। जब उनसे यह कहा गया कि ठंडा पानी मस्जिद में उपलब्ध नहीं है तो वे मस्जिद के इमाम और वहाँ मौजूद अन्य लोगों पर टूट पड़े। उन्होंने मस्जिद में पढ़ रहे कुछ बच्चों की भी पिटाई कर दी। इमाम और उनके साथियों की रपट लिखने से पुलिस ने साफ इंकार कर दिया। इसके बाद मुसलमानों की एक भीड़ ने थाने को घेर लिया। पथराव हुआ जिसमें सिटी मजि... more » 
 

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अमेरिका में इंफोसिस कर्मचारियों की जाँच.  Kusum Thakur at आर्यावर्त 

देश की दूसरी सबसे बड़ी सूचना प्रौद्योगिकी कंपनी इंफोसिस टेक्नोलॉजी के अमेरिका में कार्यरत कर्मचारियों को वहां की संघीय जाचं एजेंसी (डिपार्टमेंट ऑफ होम लैंड सिक्योरिटी) की कड़ी जांच से गुजरना पड़ रहा है। कंपनी के मुताबिक संघीय जांच एजेंसी की ओर से यह कार्रवाई इसलिए की जा रही है क्योंकि उसकी नजर में अमेरिका पहुंचे इंफोसिस कर्मचारियों के पास नौकरी में रखे जाने के पर्याप्त दस्तावेजी सबूत मौजूद नहीं हैं। भारतीय कंपनियों की ओर से अमेरिका में नौकरी पर भेज जाने वाले आईटी पेशेवरों को अपने नियोक्ता की ओर से मिले प्रमाण पत्र का पूरा ब्यौरा संघीय जांच एजेंसी को देना पड़ता है। इसके लिए उन्हें ... more »
   

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....ताकि हर बच्चा पढ़ सके !!  Akshitaa (Pakhi) at पाखी की दुनिया 

आज विश्व पुस्तक दिवस है. मुझे तो पुस्तकें पढना बहुत अच्छा लगता है. इन पुस्तकों में होती हैं- ढेर सारी प्यारी-प्यारी बातें, राइम और चित्र.वाह...कित्ता मजा आता है. मैं अपनी पुस्तकें खूब अच्छे से रखती हूँ, नहीं तो पुरानी और गन्दी नहीं हो जायेंगीं.अब तो अपूर्वा भी मेरी बुक्स देखकर पढ़ने के लिए जिद करती है. उसे चित्र देखना खूब अच्छा लगता है. *********************** 
 

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शादी के यही सुख हैं रचना at नारी

सब मानते हैं की नारी का दर्जा समाज में दोयम हैं . क्यूँ हैं के प्रश्न पर तर्क दिया जाता हैं की वो विवश हैं , वो कमजोर हैं और वो अबला हैं . क्या आप को लगता हैं केवल यही कारण हैं नारी को दोयम का दर्जा दिया जाने का . लोग कहते हैं लड़कियों की शादी उनके माँ पिता करते हैं इस लिये माँ पिता को कटघरे में लाओ क्युकी अपनी बेटियों की असमय शादी करने के जिम्मेदार वो हैं . वो अपनी बेटियों को अवसर नहीं देते की वो आर्थिक रूप से सक्षम हो सके . क्या ये सही हैं ? १२ वी की परीक्षा के परिणाम देखे तो पता चलता हैं की लड़कियों ने हमेशा बेहतर रिजल्ट दिया हैं और इस बार तो आ ई आ ई टी मे भी लडकिया बहुत ... more »

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 रुपहले पर्दे का असली द एंग्री यंग मैन  Kulwant Happy "Unique Man" at युवा सोच युवा खयालात
*'ढ़ाई किलो का हाथ, जब उठता है तो आदमी उठता नहीं, उठ जाता है'* इस संवाद को सुनते ही एक चेहरा एकदम से उभरकर आंखों के सामने आ जाता है। वो चेहरा असल जिन्‍दगी में बेहद शर्मिला व मासूम है, लेकिन रुपहले पर्दे पर वो हमेशा ही जिद्दी व गुस्‍सैल नजर आया, कभी क्रप्‍ट सिस्‍टम को लेकर तो कभी प्‍यार की दुश्‍मन दुनिया को लेकर। जी हां, मेरी निगाह में रुपहले पर्दे का असली द एंग्री यंग मैन कोई और नहीं बल्‍कि ही मैन धर्मेंद्र का बेटा सन्‍नी दिओल है, जो बहुत जल्‍द एक बार फिर रुपहले पर्दे पर मोहल्‍ला अस्‍सी से अपने दीवाने के रूबरू होने वाला है। प्रचार व मीडिया से दूर रहकर अपने काम को अंजाम देने वाले दि... more »

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बस नववधू द्वार से ही वापस मुड जाती है  वन्दना at ज़ख्म…जो फूलों ने दिये

अभी रात गयी नहीं है अभी सुबह हुई नहीं है बस दोनों के आगमन और निर्गमन के मध्य का वो अद्भुत दृश्य शीतल पुरवाई शांत सुरम्य मनमोहक वातावरण प्रकृति अपना घूंघट घोलने से पहले ज्यों सकुचाई सी पल्लू की ओट से निरीक्षण कर रही हो दिवस का ठिठकी खडी हो ज्यों कोई परदेसी कुछ देर रुका हो किसी अनजानी राह पर प्रभात ध्वनियाँ गुंजारित हो रही हों कहीं से अजान तो कहीं गुरुग्रंथ जी का पाठ तो कहीं मंदिर में बजती घंटियाँ तो कहीं आरती के स्वर हर आते जाते के मुख से जय सिया राम की ध्वनि का निकलना भक्तिमय सुरम्य वातावरण और भोर का तारा भी यूँ झिलमिलाता हो ज्यों आतिशबाजी कहीं चलती हो कहीं मुर्गे की बा... more »

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हर की पौड़ी पर गंगा मैया के भव्य दर्शन और आरती --( ३/५)  डॉ टी एस दराल at अंतर्मंथन 

गौमुख से निकल गंगोत्री होती हुई भागीरथी नदी देवप्रयाग आकर बद्रीनाथ से आती हुई अलकनंदा से मिलकर गंगा बनती है । यहाँ से करीब ६० किलोमीटर हृषिकेश तक का पहाड़ी सफ़र गंगा की पवित्रता को बनाये रखता है। हालाँकि शिवपुरी नामक स्थान पर राफटिंग क्लब खुलने से मनुष्य की गंगा के साथ छेड़खानी शुरू हो चुकी है । गंगा सबसे ज्यादा पवित्र हरिद्वार में ही नज़र आती है । हमारा चिल्ला हरिद्वार आना पिछली बार ८ साल पहले हुआ था । सबसे पहला बदलाव तो यह लगा कि अब गाड़ी पार्क करने के लिए बड़ी आरामदायक पार्किंग बन गई है सड़क के साथ । गाड़ी पार्क कर सड़क के नीचे बने अंडर पास से होकर जैसे ही हम गंगा की तरफ आए, गंगा किनार... more »

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ये बात जरा अंदर की है ...  महेन्द्र श्रीवास्तव at आधा सच... 

ये कैसी टीम है भाई जो अपने कप्तान की ही ऐसी तैसी करती रहती है। अन्ना ने तो खुद बीते शुक्रवार यानि दो दिन पहले बाबा रामदेव से गुड़गांव में मुलाकात की और मुलाकात के बाद बकायदा प्रेस कान्फ्रेंस में ऐलान किया कि लोकपाल और कालेधन के मसले पर हम दोनों में कोई मतभेद नहीं है। दोनों लडाई साथ लड़ी जाएगी और हम दोनों कंधे से कंधा मिलाकर आंदोलन को आगे बढाएंगे। इस प्रेस कॉन्फ्रेंस में 1 मई से आंदोलन चलाने की भी घोषणा की गई। अब 48 घंटे नहीं बीते और टीम अन्ना ने बैठक कर साफ कर दिया कि बाबा रामदेव के साथ साझा आंदोलन नहीं चलाया जा सकता। हां जब रामदेव को हमारी जरूरत होगी तो हम उनका साथ देंगे, वैसे ही ज... more »
 

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सो मित्रों, आशा है आपको आज का बुलेटिन पसन्द आया होगा...... आज का बुलेटिन यहीं तक... मिलते हैं एक बहुत ही छोटे से ब्रेक के बाद....

जय हिन्द
देव कुमार झा

9 टिप्पणियाँ:

चला बिहारी ब्लॉगर बनने ने कहा…

मजा आ गया.. मगर एगो सवाल पूछना चाहते थे कि सदी के महानतम बल्लेबाज नहीं देखाई दे रहे हैं ई सीरीज में?? तनी परकास डालिए कि सुरू का मैच खेलने के बाद कहाँ गायब हैं!! बहुत लालसा है उनको देखने का!!
बाक़ी लिंक तो बहुत्ते दे दिए हैं!!

रश्मि प्रभा... ने कहा…

अच्छे लिंक्स

शिवम् मिश्रा ने कहा…

क्या बात है देव बाबू बहुत खूब ... एक ही बार मे इतने दिनों की पूरी कसर निकाल दी आपने ... वाह !

मनोज कुमार ने कहा…

बुलेटिन बांचा।

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

विस्तृत प्रभावी ब्लॉगसूत्र।

shikha varshney ने कहा…

जब हर चीज़ पैसे में बिक रही है तो खेल क्यों अछूता रहे ..

धीरेन्द्र सिंह भदौरिया ने कहा…

वाह!!!!देव जी बहुत बढ़िया बुलेटिन प्रस्तुति,..प्रभावी लिंक संयोजन

MY RECENT POST...काव्यान्जलि ...: गजल.....

vandana gupta ने कहा…

बहुत सुन्दर लिंक्स संजोये हैं ।

Dev K Jha ने कहा…

आप सभी का आभार.....

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