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गुरुवार, 23 फ़रवरी 2012

भावनाओं का इतिहास लिखा जा रहा है - कुछ अपने लिए , कुछ हमारे लिए - ब्लॉग बुलेटिन




आज मेरी कलम के मेहमान हैं - अमरेन्द्र शुक्ल 'अमर' . याद नहीं , कैसे इनका ब्लॉग मिला ! पर जब मिला तो यही लगा कि अंधे को क्या चाहिए दो आँख ... तो अपनी दो आँखों में दो और आँखें जोड़कर इनको आरम्भ से अब तक पढ़ गई http://amrendra-shukla.blogspot.com/ . तो मेरा कर्तव्य है कि मैं कुछ रौशनी आपके साथ साझा करूँ . दरअसल मेरे जीवन का एक उद्देश्य यह भी है कि साहित्य सागर से मुझे मोती मिले या खारेपन में भी एक मिठास ... मैं आपलोगों तक लेकर आऊँगी . सागर में सौन्दर्य है तो गहराई भी , हाहाकार भी , आग भी , गीत भी , आंसू भी , जीवन भी मौत भी , सार भी विस्तार भी .... ! मैं ४ वर्षों के विस्तार का सार लेकर आई हूँ ... आइये मिलिए अमरेन्द्र जी से -

सितम्बर २००९ में इनके ब्लॉग का बीजारोपण हुआ .... तेरी यादें
में किसी की याद को जीते हुए अमरेन्द्र जी ने कहा है -
" न जाने क्यू तेरी हर अदा कातिल सी लगती है,
तू महजबी भी लगती है कटारी भी लगती है ,
फिर भी तेरी हर अदा जान से प्यारी सी लगती है ... "

अक्तूबर ०९ को इनकी रचना आज भी समझ नहीं पाया अपने आप को
"आज निकला हूँ अपने आप से बाहर,
साथ अपने अपना ही साया बनकर" अपनी तलाश सी लगती है .

माँ - हर किसी के जीवन में मंदिर सी होती है , कहीं रहो , किसी हाल में ... माँ साथ होती है . २०१० की यात्रा में कवि ने भी माँ को जीया है - कुछ इस तरह , "माँ मै कोसो दूर हूँ तुमसे"
"माँ मै कोसो दूर हूँ तुमसे
पर तुम मेरे पास हो माँ
रोज रात में बाते करती, बिना फ़ोन के मेरी माँ
पास नहीं दूर हूँ उनसे , फिर भी मेरे पास है माँ
हर रात को सोने से पहले , लोरी अब भी गाती माँ
मुझे खिलाकर और सुलाकर , सोने जाती मेरी माँ
कैसे मेरे दिन -रात गुजेरते
बिन तेरे हैरान हूँ माँ ..........
आज नहीं कल आ जाऊंगा
दो दिन की तो बात है माँ
"माँ मै कोसो दूर हूँ तुमसे
पर तुम मेरे पास हो माँ " यह एहसास यह भी बताते हैं कि बचपन अन्दर से कभी नहीं जाता , तभी तो उम्र के हर पड़ाव पर ऐसे भाव जागते हैं .

कोई - जो होता है ख्यालों में , जिसकी खोज होती है , कभी विश्वास बनकर , कभी हैरां , कभी खामोश होकर "खामोश निगाहे" कुछ इस तरह ---
"शाम होते ही
पैमाने भी देखकर ,
मुझको अपने आगोश में
निकल पड़ते है तेरा पता ढूंढने " मिलो न मिलो , चुप सा इंतज़ार सीने में होता है . कोलाहल में भी आँखें बन्द किये किसी को ढूंढता है .

प्यार , ख्याल , इंतज़ार ... कभी थकान बन उठे तो हर क्षण आखिरी लगता है , उस आखिरी पल का वास्ता लिए कवि ने कुछ इस तरह अपने भावों को पिरोया है २०११ के पन्ने पर अंतिम क्षण

" चारो तरफ फैली है यादें तेरी
फिर भी यादें कम है
दर्द पहले से ज्यादा हुआ है,
फिर भी दर्द कम है .....

सपने है आँखों में जागे जागे
और आज आँखों में नींद कम ,है
यूँ तो जी रहे है हम जिंदगी से ज्यादा
फिर भी लगता है ये जिंदगी कम है..... "

एक ख्याल और प्रकृति - कितनी साम्यता है ! इक बूँद
"वो दूर से ही कहता रहा
अपना ख्याल रखना
मैंने भी रखा
वैसे ही
जैसे
सागर किनारे
नन्हे करतलो से बने
रेत के छोटे छोटे महलो ने रखा ,
जो लहर आने का इन्तेजार तो करते है
पर उनके जाने के बाद
उन महलो का निशा तक नहीं होता
वो आत्मसात हो जाते है उन्ही के साथ
उन्ही के संग
अपने वजूद को मिटा के

दूर ही सही

फिर भी,
मेरे अपने से लगते हो
दूर बादल में,
छुपी इक बूँद जैसे " कभी लहर , कभी बूंद , कभी मैं , कभी तुम - यात्रा रूकती नहीं , दृश्य ठहरते नहीं ... समय यंत्रवत कहो या सोच समझकर चलता जाता है . २०१२ यानि नए वर्ष का कैनवस , जिस पर भावों का अदभुत संयोजन जारी है ....
किसी ख़ास के लिए तुम तक आने का रास्ता
चिरंतन प्रश्न आखिर कब बदलोगे तुम ??????



यात्रा बरक़रार है , भावनाओं का इतिहास लिखा जा रहा है - कुछ अपने लिए , कुछ हमारे लिए

14 टिप्पणियाँ:

Kailash Sharma ने कहा…

अमरेन्द्र जी से मिलना बहुत अच्छा लगा...बहुत सुंदर प्रस्तुति...

विभा रानी श्रीवास्तव ने कहा…

अमरेन्द्र शुक्ल 'अमर' का परिचय पाकर बहुत अच्छा लगा.... !!

सदा ने कहा…

आपकी कलम से अमरेन्‍द्र जी की रचनाओं का परिचय भावनाओं का सशक्‍त प्रवाह लिए हुए ...आभार सहित शुभकामनाएं

चला बिहारी ब्लॉगर बनने ने कहा…

भावुक कर देने वाले रचनाकार!! भावनात्मक परिचय!!

vandana gupta ने कहा…

अमरेन्द्र जी से मिलना सुखद रहा …………बहुत सुन्दरता से परिचय दिया है आपने।

संगीता तोमर Sangeeta Tomar ने कहा…

सुंदर प्रस्तुति.....

shikha varshney ने कहा…

अमरेन्द्र जी और उनकी रचनाओं से मिलना अच्छा लगा .बढ़िया बुलेटिन.

Rajesh Kumari ने कहा…

bahut achchi sameeksha ki hai rashmi ji amrendra ji ke blog par main to aati jaati rahti hoon unki lekhni me kuch kasak jaroor hai.

शिवम् मिश्रा ने कहा…

एक बार फिर एक बेहद उम्दा ब्लॉग और ब्लॉगर से परिचय करवाया आपने ... आभार रश्मि दी !

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

अमरेन्द्रजी से मिलाने का आभार..

धीरेन्द्र सिंह भदौरिया ने कहा…

अमरेन्द्र जी के पोस्ट पर मेरा आना जाना लगा रहता है,वे एक अच्छे
रचना कार है,एकल ब्लॉग में उन्हें आज शामिल करने के लिए,
रश्मी जी आपको बहुत२ बधाई,.....
बहुत बढ़िया,प्रस्तुति,.....

MY NEW POST...आज के नेता...

देवेन्द्र पाण्डेय ने कहा…

अच्छी कविताएं चुनी हैं आपने।

Dr.NISHA MAHARANA ने कहा…

maine bhi pdha hai amrendra jee ko aapke prayas se fir pdhne ka mauka mila dhanyavad.

मेरा मन पंछी सा ने कहा…

आपके माध्यम से अमरेन्द्र जी की पुरानी सुन्दर रचना भी पढ़ने को मिल गयी
बहुत ही अच्छे लिंक्स चुने है
बेहतरीन प्रस्तुती...

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