Subscribe:

Ads 468x60px

कुल पेज दृश्य

मंगलवार, 21 फ़रवरी 2012

कैसे मतदाता है आप - ब्लॉग बुलेटिन

प्रिय ब्लॉगर मित्रो ,
प्रणाम !

देश में चुनावी माहौल चल रहा है ... आप में से भी बहुतो ने अपने अपने मतदाता होने के अधिकारों का उपयोग किया होगा या करने वाले होगें !

ऐसा में सवाल यह उठता है कि मान लीजिये जब आप वोट करने जाए और देखें कि प्रत्याशियों की सूचि में एक भी ऐसा प्रत्याशी नहीं है जो आपकी आशाओं पर खरा उतरे तो क्या करेंगे आप ... ??

वैसे अगर आप नीचे दिए जा रहे कारणों से वोट देते है ... तो ऊपर वाले सवाल पर ध्यान न दें ...

" क्या फर्क पड़ता है यार किसी को भी वोट दे कर अपना काम खत्म करो "  यह सोच किसी भी एक को अपना वोट दे देंगे !?

आपका परिवार सालों से एक ही पार्टी विशेष को वोट देता आया है इस लिए आप भी उसी पार्टी को वोट देंगे ... प्रत्याशी से आपको कोई मतलब नहीं !?

प्रत्याशी आपका परिचित है ... अब भले ही वो किसी भी पार्टी में हो ... अपने काम करें न करें ... आपको फर्क नहीं पड़ता !?

प्रत्याशी आपकी ही जाति / धर्म का है ... अब ऐसे में किसी और को वोट देने का सवाल ही कहाँ पैदा होता है !?  

पर अगर आप एक जागरूक मतदाता है और अपने वोट की कीमत जानते है तो नीचे दिए जा रहे चित्र को ध्यान से देखें और अगर जरुरत पड़े तो अपने अधिकार का उपयोग करते हुए एक सच्चे मतदाता होने का फ़र्ज़ निभाएं !

(चित्र पर क्लिक कर बड़ा करें)
 आप इस पर विचार कीजिये ... तब तक मैं आपके लिए आज की ब्लॉग बुलेटिन तैयार करता हूँ ...

सादर आपका 

शिवम् मिश्रा

=========================================================== 
posted by डॉ० कुमारेन्द्र सिंह सेंगर at रायटोक्रेट कुमारेन्द्र
मतदाता जागरूकता को लेकर तमाम सारी संस्थायें, व्यक्ति कार्य करते दिखाई दे रहे हैं। मतदाता जागरूकता कार्यक्रमों का और चुनाव आयोग की सख्ती का, सकारात्मक सक्रियता का परिणाम यह रहा कि मतदान प्रतिशत पिछले बार ...
posted by गिरिजेश राव, Girijesh Rao at एक आलसी का चिठ्ठा
कहते हैं कि महाशिवरात्रि के दिन शिव का विवाह गौरी से हुआ था। दिगम्बर शिव से लिपट गौरी ने उन्हें दिव्याम्बर कर दिया। वही गौरी जिनके बिना शिव उनके शव को कन्धे पर लिये ब्रह्मांड में घूमने लगे और सृष्टि से शव...
posted by मनोज कुमार at विचार
*सूफ़ियों ने विश्व-प्रेम का पाठ पढ़ाया अंक-7* *सूफ़ी दर्शन-**2* अंक-1 : सूफ़ी शब्द का अर्थ *अंक-2 सूफ़ीमत का उदय अंक-3 : *सूफ़ीमत की प्रारंभिक अवस्था अंक-4. *सूफ़ीमत का विकास-1 अंक-5 सूफ़ीमत का विकास-2 अंक-6 ...
 
posted by सतीश सक्सेना at मेरे गीत !
*दूसरों के धार्मिक अनुष्ठान में शामिल होना मुझे हमेशा अच्छा लगता है , मेरा प्रयत्न रहता है कि वहां उनके अनुष्ठानों के प्रति पूरा सम्मान भी, भाग लेने पर ,ईमानदारी के साथ व्यक्त किया जाए !* * * *अधिकतर ऐसे ...

posted by ZEAL at ZEAL
मैकाले की शिक्षा पद्धति ने ब्रेन-वाश कर दिया है हमारे भारतीय समाज का। divide and rule policy चलाकर उन्होंने हमें टुकड़ों-टुकड़ों में बाँट दिया। आज इसी विभाजन की "मंथरा-नीति" से कांग्रेस हमें नोच-नोच कर खा रह...

posted by रेखा श्रीवास्तव at मेरा सरोकार
प्रियंका श्रीवास्तव (सोनू) ये संघर्ष जिसका है वो मेरी बेटी है लेकिन लिखा उसकी कलम से ही गया है। मैं उसके संघर्ष की क़द्र करती हूँ क्योंकि मन तो सिर्फ उसको संभाल रहे थे वह दर्द और कष्ट तो उसने ही सहा ...

posted by सजीव सारथी at रेडियो प्लेबैक इंडिया
* शिखा वार्ष्णेय से जब मैंने गीत मांगे, तो सुना और भूल गईं. छोटी बहन ने सोचा - अरे यह रश्मि दी की आदत है, कभी ये लिखो, वो दो, ये करो .... हुंह. मैंने भी रहने दिया. पर अचानक जब उसने समीर जी की पसंद को सुन...
posted by विवेक सिंह at स्वप्नलोक
[image: DSCN3169] [image: DSCN3170] [image: DSCN3171] [image: DSCN3172] [image: DSCN3173] [image: DSCN3174] [image: DSCN3175] [image: DSCN3176] [image: DSCN3177] [image: DSCN3178] [image: DSCN3...
posted by vedvyathit at एक ब्लॉग सबका
नव गीतिका *दिल किरच किरच टूटे * * * *दिल किरच किरच टूटे और टूटता ही जाये * *बाक़ी बचे न कुछ भी फिर भी धडकता जाये * *कहने को साँस चलती रहती है खुद ब खुद ही * *ये ही नही है काफी बस साँस चलती जाये * *मौसम की...
posted by अविनाश वाचस्पति at पिताजी 
पिता चाहे बुजुर्ग थे परंतु तकनीक से पूरी तौर पर जुड़े हुए। तकनीक में प्रगति हो और वे बिना जाने-अपनाए रह जाएं, संभव ही नहीं था। आधुनिक स्‍मार्ट आई फोन तभी से रखते थे जब भारत में उसका कोई नाम नहीं जानता था।...
posted by मनोज पटेल at पढ़ते-पढ़ते
*एंतोनियो पोर्चिया की 'आवाजें' श्रृंखला से... * * * * * *आवाजें : एंतोनियो पोर्चिया * (अनुवाद : मनोज पटेल) जिसका मैं इंतज़ार कर रहा था, उससे मेरी इंतज़ार की आदत आई. :: :: :: स्वर्ग जरूर जाऊंगा, मगर अ...

=========================================================== 
अब आज्ञा दीजिये ... फिर मिलेंगे ।
जय हिंद !!

12 टिप्पणियाँ:

चला बिहारी ब्लॉगर बनने ने कहा…

बहुत ज़रूरी बात और बहुत खूबसूरत पोस्ट-संकलन!!

shikha varshney ने कहा…

हमारे पास तो बोटर कार्ड ही नहीं है :(..पर बातें जरुरी बातें.और लिंक्स बेहतरीन.

vandana gupta ने कहा…

बहुत सुन्दर लिंक्स संजोये हैं।

S.M.HABIB (Sanjay Mishra 'Habib') ने कहा…

अच्छी बुलेटिन... सुन्दर लिंक्स संकलित हैं...
सादर आभार...

धीरेन्द्र सिंह भदौरिया ने कहा…

सुंदर सूत्र संकलन,..बेहतरीन प्रस्तुति,...

MY NEW POST ...काव्यान्जलि...सम्बोधन...

Maheshwari kaneri ने कहा…

सुन्दर संकलन.....

विभा रानी श्रीवास्तव ने कहा…

वोट देने का अच्छा तर्क है.... साथ ही उत्तम लिंक्स की जानकारी देने के लिए आभार शिवम् भाई....

रश्मि प्रभा... ने कहा…

वोट की बात मैं रहने देती हूँ .... लिंक्स की तरफ जा रही हूँ

अजय कुमार झा ने कहा…

बाह बाह मिसर जी ,एक बार फ़िर से प्रस्तावना बहुत ही सामयिक सार्थक और विचारोत्तेजक बन पडी है । इस चुनाव में पहली बार इस अधिकार का प्रयोग देखने सुनने को मिला । समय की दरकार यही है कि राजनीतिज्ञों का कम से कम कुछ राजनीतिज्ञों के लिए तो जरूर ही । बेहतरीन लिंक्स और उनकी प्रस्तुति ने बुलेटिन को और भी खूबसूरत बना दिया है

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

बड़े सुन्दर सूत्र लाये हैं आप..

शिवम् मिश्रा ने कहा…

आप सब का बहुत बहुत आभार !

अविनाश वाचस्पति ने कहा…

बुलेटिन टिन टिन करता है
सब हिंदी चिट्ठाकारों में
प्‍यार मनुहार बढ़ाता है।

एक टिप्पणी भेजें

बुलेटिन में हम ब्लॉग जगत की तमाम गतिविधियों ,लिखा पढी , कहा सुनी , कही अनकही , बहस -विमर्श , सब लेकर आए हैं , ये एक सूत्र भर है उन पोस्टों तक आपको पहुंचाने का जो बुलेटिन लगाने वाले की नज़र में आए , यदि ये आपको कमाल की पोस्टों तक ले जाता है तो हमारा श्रम सफ़ल हुआ । आने का शुक्रिया ... एक और बात आजकल गूगल पर कुछ समस्या के चलते आप की टिप्पणीयां कभी कभी तुरंत न छप कर स्पैम मे जा रही है ... तो चिंतित न हो थोड़ी देर से सही पर आप की टिप्पणी छपेगी जरूर!

लेखागार