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गुरुवार, 9 फ़रवरी 2012

बहुत कठिन है ...



रिश्तों का मान रखना होता है , उसकी शरारतों के आगे ज़िम्मेदार होना पड़ता है ... आप सब कहेंगे ये आज रश्मि जी ने क्या शुरू किया . देखिये मैं बनी ' दीदी ' और बुलेटिन के मुख्य दरवाज़े पर खड़ा करके भाई लोग भाग गए . एक पल नहीं सोचा कि यह बेचारी दीदी जो लिख ले , बाकी सब में जीरो है . अरे कविता लिखते समय इश्क का आंटा गूंधना शब्दों में संभव है, ख्यालों का तड़का लगाना संभव है - पर , ........ लेकिन कोशिश तो करनी होगी न ? तो बनाती हूँ कठिन को आसान नए पुराने लिंक्स का तड़का लगाकर . प्रिय भाई लोग जल्दी आ जाइये , वरना गाना पड़ेगा -

सात भाई चंपा जागोरे जागोरे घूम घूम थाकेना घुमेरी घोरे एकटी पारुल बो आमी तोमार आमी सकल साझे शातो काजेर माझे तोमाये डेके डेके सारा ( गलती के लिए क्षमा , बंगला लिखने की जुर्रत है )



मैं-
अपर्णा भटनागर
दिल्ली पब्लिक स्कूल, अहमदाबाद में अध्यापिका रह चुकी हूँ
काव्य रचना 'मेरे क्षण' रोयल पब्लिकेशन, जोधपुर से प्रकाशित हो चुकी है .
वर्तमान में गृहिणी तथा स्वतंत्र रूप से लेखन कार्य से जुडी हुई हूँ अंतरजाल पर प्रकाशित विभिन्न साहित्यिक पत्रिकाओं में मेरी रचनाएँ प्रकाशित होती रहती है.


लड़कियों को ख्वाब कहो , या लहर , या देवी - पर कुछ हैं जो अंगारे सा दहकता रहता है . कुछ चिंगारी लिए यूँ ही तो नहीं बेबस खड़ा होता है कोई .

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http://vandana-zindagi.blogspot.in/2012/02/blog-post_08.html


लड़कियां जब हो जाती हैं अचानक से चुप ...उन्हें कुरेदना ठीक नहीं , कुछ ऐसी अनुनय भरी हिदायत के साथ



...वाणी शर्मा
परिचय .....एक आम भारतीय गृहिणी


छोटे छोटे कदम और सारगर्भित सन्देश - हाँ इन क़दमों को कहते हैं हाइकु
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कैलाश शर्मा

एक छोटा सा ख्याल और बंदिशों की दीवारें ... और शालिनी जी के ख्याल

[SPM_A0450.jpg]शालिनी
न शेर ओ शायरी की अक्ल , न गीत ओ गज़ल की समझ . न ही कविता रचने का शऊर, न नज़्म गढ़ पाने का माद्दा . बस कुछ शब्द टूटे फूटे से, कुछ भाव अनबूझे-अनकहे से. जुबां पर लाने की जुर्रत में , ख्वाब कितने ही फिसल छूटे. कहीं कल्पना की अधूरी - सी उड़ान कहीं असलियत का अधसिला जामा किसे पकडें, किसे छोड़े की कशमकश अधूरी रह जाती मेरी 'अनुभूति'

यदि अभी ऐलान हो कि बचे हैं सिर्फ 24 घंटे आपके पास तो क्या करेंगे आप .... ये हैं कुछ लोग अपने विचारों के साथ , फिर कहिये आप -

अब आखिर में एक अनुरोध ... मुझे दीदी होने की सजा न दें मेरे भाई लोग , वरना मैं कुछ झूठ बोलकर भाग जाऊँगी ... क्योंकि ,

होता है न ?


कभी-कभी
मैं प्रोज्ज्वलित तेज़ होती हूँ,
कभी
सारी पृथ्वी,
डगमगाती नज़र आती है,
कभी हौसला मेरी मुठ्ठी में होता है,
कभी कमज़ोर आंसू थमते नहीं...

17 टिप्पणियाँ:

अनुपमा पाठक ने कहा…

कठिन है जो कुछ वह आपके समक्ष आसान हो जाता है... रश्मि जी:)
सुन्दर!!!
और अंत में *होता है न* ने कितनी गूढ़ बात कही... ऐसा होता तो है!

विभा रानी श्रीवास्तव ने कहा…

मैं आज आपकी प्रस्तुति देख कर आश्चर्य-चकित हूँ , और अनुपमा पाठक जी से सहमत भी.... :) @अनुपमा पाठक जी का आभार.... :)

vidya ने कहा…

रश्मि दीSSSSSSSSSSSSSSS

बहुत अच्छी प्रस्तुति..
स्नेह की डोर भागने कहाँ देगी आपको...
:-)

सादर.

चला बिहारी ब्लॉगर बनने ने कहा…

रश्मि दी!
आजकेर आपनार प्रश्तुती देखे खूब खूशी होलो.. एतो शुन्दोर बांग्ला गान, एतो दिन पोरे शोनार शुजोग पेलाम!! कोटि-कोटि धोन्नोबाद!!

Anju ने कहा…

waah ....rashmi di....khoob kaha ....aapne ..!asambhav aapke liye to hm kahan jayenge ji ....! sadar...! sadhuvaad

vandana gupta ने कहा…

रश्मि जी का अंदाज़-ए-बयाँ है कुछ और्……………बहुत सुन्दर्।

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

बहुत ही सुन्दर सूत्र पिरोये हैं।

धीरेन्द्र सिंह भदौरिया ने कहा…

रश्मी जी,आज की प्रस्तुति बहुत पसंद आई,...
MY NEW POST...मेरे छोटे से आँगन में...

Kailash Sharma ने कहा…

लाज़वाब सूत्र पिरोये हैं...मेरी रचना को शामिल करने के लिये आभार...'होता है न ?' में जीवन के गहन यथार्थ का सटीक चित्रण..आभार

Anupama Tripathi ने कहा…

बहुत बढ़िया लिंक्स संकलन ....बेहतरीन बुलेटिन ....

Pallavi saxena ने कहा…

बहुत सुंदर सूत्र से सजाया है आपने आज का बुलेटिन आभार ...

सदा ने कहा…

कितनी सारी खूबियाँ लिये हुए हैं आप ... सच किसी जादू से कम नहीं हैं आप ... इसलिए सब निश्चिन्‍त हो जाते हैं आपके रहते .. लेखन .. लिंक्‍स और आपका गीत सब एक से बढ़कर एक ... आभार

संगीता स्वरुप ( गीत ) ने कहा…

बहुत सुन्दर प्रस्तुतिकरण ...

सूत्रधार ने कहा…

सार्थक व सराहनीय प्रयास ..
सुमन सिन्‍हा जी का परिचय देखें यहां ...

Dev K Jha ने कहा…

वाह, कितना सार्थक और कितना सटीक...
रश्मि दीदी आपका आभार..

बुलेटिन जबरदस्त...

वाणी गीत ने कहा…

शादियों का मौसम है और बिमारियों का भी , सब घूमघाम कर लौट ही आने वाले हैं !
आभार !

Atul Shrivastava ने कहा…

बढिया बुलेटिन।

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