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मंगलवार, 7 फ़रवरी 2012

स्पंदन = मेरे मन में उठती भावनाओं की तरंगे - ब्लॉग बुलेटिन

ब्लॉग बुलेटिन आपका ब्लॉग है.... ब्लॉग बुलेटिन टीम का आपसे वादा है कि वो आपके लिए कुछ ना कुछ 'नया' जरुर लाती रहेगी ... इसी वादे को निभाते हुए लीजिये पेश है हमारी नयी श्रृंखला "मेहमान रिपोर्टर" ... इस श्रृंखला के अंतर्गत यह सोचा गया था कि हर हफ्ते एक दिन आप में से ही किसी एक को मौका दिया जायेगा बुलेटिन लगाने का ... पर आप सब के सहयोग को देखते हुए अब से हफ्ते में २ दिन हमारे मेहमान रिपोर्टर अपनी पोस्ट लगाया करेंगे ... तो अपनी अपनी तैयारी कर लीजिये ... हो सकता है ... अगला नंबर आपका ही हो !  

"मेहमान रिपोर्टर" के रूप में आज बारी है शिखा वार्ष्णेय जी की... 

मजे की बात यह है कि आज शिखा जी की वैवाहिक वर्षगाँठ भी है ... तो ...

आप सब की और पूरी ब्लॉग बुलेटिन टीम की ओर से शिखा जी को वैवाहिक वर्षगाँठ की बहुत बहुत हार्दिक बधाइयाँ और शुभकामनाएं ! 

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स्पंदन = मेरे मन में उठती भावनाओं की  तरंगे.जिन्हें साकार रूप दिया मेरे इस प्यारे ब्लॉग ने . जिसे मैंने कुश के ब्लॉग को देखकर एक डायरी के रूप  में बनाया था. यह सोच कर कि सारी रचनाये इसमें संकलित रहेंगी.परन्तु धीरे धीरे पाठकों का साथ बढ़ता गया, हौसले बुलंद होते गए ,नए दोस्त मिलते रहे और कारवां बढ़ता गया.उस समय  ब्लॉगवाणी  का जबरदस्त्त क्रेज़ था  हम तो नए रंगरूट थे,पर कुछ ब्लॉग ऐसे थे (मेरी नजर की पहुँच तक ) जहाँ टिप्पणियों की भरमार रहा करती थी और ब्लोगवाणी का पैमाना निरंतर ऊपर नीचे होता रहता था.
जैसे -(इन अल्फाबेटिक ऑर्डर )
डॉ.अनुराग -http://anuragarya.blogspot.com/
महफूज़ -http://www.mahfoozali.com/
समीर लाल -http://udantashtari.blogspot.com/
आदि -.
इन लोगों की पोस्ट जहाँ पोस्ट हुई नहीं कि हाथ से छूटी पतंग की तरह उड़ जाती थी . कमबख्त इन्हीं टिप्पणियों के चलते कुछ विवाद भी हो जाया करते थे.यूँ टिप्पणियों पर विवाद अब भी कुछ कम नहीं होते पर उनकी गंभीरता और मात्रा कम हो गई है.मेरे विचार से ब्लोगिंग अब परिपक्वता की ओर बढ़ रही है.पर तब इन सब के नतीजतन एक अच्छे एग्रीकेटर "ब्लोगवाणी" का समापन हो गया.रोज सुनने में आता कि आज फलां टंकी पर चढ़ गया, आज फलाने ने अपना टिप्पणी का बक्सा बंद कर दिया ..फिर शुरू होती थी रूठने - मनाने की कवायद और फिर "ब्लॉग जगत के निवासी सभी जन एक हैं" गीत बज उठता था.
पर  इन सब कार्यक्रमों से हट कर कुछ ब्लॉग ऐसे भी थे. जिन्हें ना ब्लोगवाणी की रेंकिंग से कोई मतलब ना टिप्पणियों से कोई सरोकार. जो बस चुपचाप ब्लॉग पर अपनी कलम चलाया करते थे और उनमें से दो ब्लॉग ऐसे थे जिन्होंने मुझे बेहद प्रभावित किया 
एक था ( अब भी है )के सी का हथकढ़  -http://hathkadh.blogspot.com/
जहाँ कलम का एक ऐसा रूप मैंने देखा जो अब तक देखा ना था. उत्कृष्ट लेखन,हर विवाद से दूर उस ब्लॉग पर आज भी जो भी पढ़ती हूँ बहुत सुकून देता है .
और दूसरा -आवेश का  कतरने -http://www.katrane.blogspot.com/
जहाँ कलम, शब्दों से आग लगाया करती थी.नागरिक पत्रकारिता का ऐसा रूप जिसे पढ़कर कोई सोचने पर मजबूर ना हो ये मुझे असंभव लगता था.
इसके अलावा और भी ब्लोग्स थे जैसे - संगीता स्वरुप का "गीत"http://geet7553.blogspot.com/)और मनोज कुमार का "मनोज" (http://manojiofs.blogspot.com/)जहाँ जाना हमेशा ज्ञानवर्धक और सुखदाई हुआ करता था .उसके बाद बहुत से नए - पुराने ब्लॉग इस सूची में जुड़ते गए जैसे - रश्मि प्रभा, खुशदीप ,सलिल वर्मा, अभिषेक कुमार,पंकज उपाध्याय,विनीत कुमार,सोनल,गिरीश पंकज,ललित शर्मा, अनूप शुक्ल. और भी बहुत से  जिनके ब्लॉग मेरी दिनचर्या का हिस्सा बन गए. जिन्हें पढना आज मेरे लिए सुखद भी होता है और जरुरी भी. सबका नाम देना यहाँ संभव नहीं परन्तु जिन्होंने ब्लोगिंग  को नए आयाम दिए एक व्यक्तिगत डायरी से उठाकर एक सम्पूर्ण विधा का ताज ब्लोगिंग को पहना दिया.आज व्यस्तताएं  बहुत बढ़ गईं है परन्तु जो स्नेह मुझे मेरे ब्लॉग के माध्यम से मिला वो मेरे लिए अविस्मर्णीय है.और ये स्नेह छाया मेरे लाडले ब्लॉग पर यूँ ही बनी रही.ब्लॉग जगत यूँ ही फलता फूलता रहे ..आमीन.....आई लव ब्लोगिंग.

आपकी 

19 टिप्पणियाँ:

शिवम् मिश्रा ने कहा…

शिखा जी, आपको वैवाहिक वर्षगाँठ की बहुत बहुत हार्दिक बधाइयाँ और शुभकामनाएं !

आपका बहुत बहुत आभार जो आपने ब्लॉग बुलेटिन पर एक "मेहमान रिपोर्टर" के रूप में अपनी यह पोस्ट लगाई ! हमारी इस नयी श्रृंखला को एक और बढ़िया परवाज़ देने के लिए आपको हार्दिक धन्यवाद !

पी.सी.गोदियाल "परचेत" ने कहा…

वैवाहिक वर्षगाँठ की हार्दिक शुभकामनाएं,शिखा जी को !

रश्मि प्रभा... ने कहा…

बधाई शिखा ... बहुत जानती है यह लड़की , याद है न . तो यहाँ भी एक कदम और प्यार, सम्मान , ब्लॉग की विशेषता सब दे गई

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

ढेरों शुभकानायें..

चला बिहारी ब्लॉगर बनने ने कहा…

सर्वप्रथम शिखा जी को विवाह वार्षिकी की अशेष शुभकामनाएं और आशीष!! आपको यहाँ मेहमान के रूप में देखकर एक सुखद अनुभूति हो रही है.. मैंने तो सबसे पहले Ctl+F करके देखा कि मेरा नाम है कि नहीं (चला बिहारी - Not found तब सलिल वर्मा से दिखाई दिया), जब देख लिया तो तसल्ली हुई.. खैर, खुश-आमदीद! मरहबा!!

अविनाश वाचस्पति ने कहा…

और कुछ हुआ या नहीं हुआ हिंदी चिट्ठाकारी में लेकिन शिवम् भाई ने घर के लोगों को मेहमान बना दिया।

vandana gupta ने कहा…

शिखा जी को वैवाहिक वर्षगाँठ की बहुत बहुत हार्दिक बधाइयाँ और शुभकामनाएं !

मनोज कुमार ने कहा…

शिखा जी!
वैवाहिक वर्षगांठ की हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं।

अब न वो देवी है न कराह, जिसमें तले जाते थे नए ब्लॉगर।
बहुतों को टंकी पर चढ़ाए और गिराया, गुटबाजी करवाई और लड़ाया।
कम में आपने ब्लॉग इतिहास के अच्छे से समेटा है।

संगीता स्वरुप ( गीत ) ने कहा…

वैवाहिक वर्षगांठ के लिए शिका को बधाई और हार्दिक शुभकामनायें ...
ब्लोगिंग का सफर यूं ही अनवरत चलता रहे ... अच्छी प्रस्तुति

Dr.NISHA MAHARANA ने कहा…

bahut-bahut shubhkamna nd badhai shikha jee.

सदा ने कहा…

बहुत ही अच्‍छी प्रस्‍तु‍ति ...बधाई सहित शुभकामनाएं ।

naresh ने कहा…

अब नौकर नहीं घर लाइए रोबो
नई दिल्ली : क्या आप शहरों में घरेलू नौकरों की वारदातों से डरे हुए हैं? क्या बुजुर्ग होने की वजह से अपने घर की सफाई करने में आपको परेशानी होती है? क्या आप नौकरों और सफाई कर्मियों के नखरों से परेशान है? अगर आपका जवाब हा में है तो समझिए कि आपकी मुश्किलों का समाधान हो गया है। अब देश में घरेलू सफाई करने वाला पहला रोबो उपलब्ध है।
यह रोबो निश्चित समय पर अपने चार्जर से बाहर निकलेगा और घर साफ कर खुद ब खुद चार्जर में आ जाएगा। इस तरह से अगर आप चाहें तो सफाई की चिंता किए बगैर हफ्तों घर से बाहर रह सकते हैं। इस रोबो को सिर्फ घर में काम करने के लिए प्रोग्राम करना होगा। उसके बाद यह कमरे का नक्शा, उसमें रखे सोफे-बेड-कुर्सियों आदि का खाका अपनी मेमोरी में डाल लेगा और अगले दिन उसी हिसाब से सफाई करेगा। घरेलू कामकाज में मदद करने वाला यह रोबो लेकर बाजार में आई है मिलाग्रो। मिलाग्रो के संस्थापक राजीव करवाल ने बताया कि बाजार में इसकी कीमत 9990 रुपये होगी। करवाल मानते हैं कि घर के कामकाज में मदद करने वाले रोबो अब हकीकत बन गए हैं। गृहणी भी आसानी से इसकी प्रोग्रामिंग कर सकतीं हैं। खास तौर पर घरों में अकेले रहने वालों बुजुर्गो के लिए यह काफी काम का साबित हो सकता है।

abhi ने कहा…

बड़े अच्छे मौके पर आपकी ये पोस्ट आई है यहाँ...
हथकढ आप भी पढ़ती हैं, मैं तो फैन हूँ किशोर जी का...:) :)
और अपना नाम यहाँ देख कर तो खुशी के आंसू निकल आयें आँखों से मेरे :D (एकदम फ़िल्मी स्टाईल वाला daaylog)

एनीवे हैप्पी एनीवर्सरी :) :)

अनूप शुक्ल ने कहा…

वाह! बधाई!
ब्लॉग यात्रा के किस्से पढ़कर अच्छा लगा!
विवाह वर्षगांठ की अनेकानेक ब्धाइयां! मंगलकामनायें।

shikha varshney ने कहा…

आप सभी की शुभकामनाओं का तहे दिल से शुक्रिया.

लोकेन्द्र सिंह ने कहा…

वैवाहिक वर्षगाँठ की हार्दिक शुभकामनाएं,शिखा जी को !

Anupama Tripathi ने कहा…

sorry for being late ...bahut badhai shikha ji ....bahut badhia prastuti ....

स्वप्न मञ्जूषा ने कहा…

शिखा जी,
आपकी इस पोस्ट पर कई गलतियाँ नज़र आ रहीं हैं...
१. नाम के अनुसार अल्फाबेटिकली अगर देखा जाए तो..यह इस प्रकार होगा :
'अदा'
डॉ.अनुराग आर्या
महफूज़ अली
समीर लाल
और अगर ब्लॉग के हिसाब से आप इसे लिखें तो मेरा ब्लॉग सबसे नीचे आएगा
२. आप इतनी भी नयी 'रंगरूट' नहीं थी...आपकी पोस्ट्स पर मैंने ही बहुत चटके लगाए हैं उन दिनों श्री महफूज़ अली जी के कहने पर.. क्योंकि जैसे ही आपकी पोस्ट छपती थी महफूज़ साहब ने मुझे या फ़ोन पर या ईमेल पर...इस बात की हमेशा इत्तिल्ला दी और कहा है..की मैं ज़रूर चटका लगाऊं...तो उन चटकों का कुछ तो लिहाज़ होना ही चाहिए...
३. उनदिनों, मेरे, आपके, समीर लाल जी, खुशदीप जी, डॉ. अनुराग आर्या इत्यादि के अलावे और भी लोग थे जिन तक आपकी बहुत अच्छी पहुँच थी...मसलन मिथिलेश दुबे, डॉ.अरविन्द मिश्र इत्यादि..जिनके पोस्ट्स पर आपकी टिप्पणियाँ बदस्तूर मौजूद होंगी...आप इनका नाम देना भूल गयी...इसलिए सोचा आपको याद दिला दूँ...वैसे अभी आपकी उम्र इतनी नहीं हुई कि आप इतनी जल्दी ये सब भूल जाएँ...
आशा ही नहीं अपितु विश्वास है..आप इनका भी जिक्र अपनी पोस्ट पर करतीं तो अच्छा लगता...
आपको आपके वैवाहिक वर्षगाँठ की बहुत बहुत शुभकामना..
धनयवाद..
'अदा'

मनोज भारती ने कहा…

सबसे पहले वैवाहिक वर्षगांठ की हार्दिक शुभकामनाएं ...यद्यपि यह विलंब से प्रेषित है।

ब्लॉग जगत के वे दिन भी याद आते हैं।

अदा जी का ब्लॉग तो हमेशा खूबसुरत रहा है। हम भी स्पंदन के नियमित पाठक रहें हैं। तब आप कुछ रुसी साहित्य का अनुवाद भी कर रही थी...जिसे पुस्तक आकार देना चाहती थी। क्या स्मृतियों में रुस उसी का नतीजा है।

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