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मंगलवार, 13 दिसंबर 2011

प्रतिभाओं की कमी नहीं - अवलोकन २०११ (4) - ब्लॉग बुलेटिन


सब से पहले ब्लॉग बुलेटिन की पूरी टीम की ओर से १३ दिसम्बर ,२००१ के संसद भवन हमले के सभी अमर शहीदों को शत शत नमन और विनम्र श्रद्धांजलि !
आज १३ दिसम्बर है ... १० साल पहले आज के ही दिन कुछ लोगो ने भारत के लोकतंत्र के प्रतीक संसद भवन की रक्षा में अपने प्राणों की आहुति दी थी !

१० साल बाद ... आज यह भारत के लोकतंत्र का प्रतीक संसद फिर हमले का शिकार है ... पर अब की बार अपने ही सदस्यों के हाथो !!!

कम से कम कुछ तो लिहाज किया होता उन वीरो की क़ुरबानी का हमारे नेताओ ने ...

आज के दिन हम अमर शहीदों को शत शत नमन करते हुए साथ साथ यह दुआ भी करते है कि या तो हमारे नेताओ को सदबुद्धि आये या फिर कोई इनकी रक्षा में शहीद न हो !



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कई भागो में छपने वाली इस ख़ास बुलेटिन के अंतर्गत आपको सन २०११ की कुछ चुनिन्दा पोस्टो को दोबारा पढने का मौका मिलेगा !

तो लीजिये पेश है अवलोकन २०११ का चौथा भाग ...




चलना सीख के
ज़िन्दगी जब जीने लगो
तो कभी तलवार की धार
कभी दहकते अंगारे
पाँव के नीचे होते हैं ...
सिलसिला इतना लम्बा होता है
कि तलवार की धार भोथरी हो जाती है
अंगारे ठन्डे लगने लगते हैं -
आदत की बात हो
या प्रह्लाद बनने का हुनर
जीत चलनेवालों की ही होती है
जीवन जीने के सही मायने
उनके हिस्से ही आते हैं ...

सही मायनों को पाने के क्रम में अनुभवों की बड़ी अनमोल पोटली बनती जाती है - जिसे खरीदा नहीं जा सकता , बांटा जाता है . नज़रिया अपना अपना होता है, पर उसे पुख्ता करने के लिए , उसकी सीलन हटाने के लिए ...... इन पोटलियों से बड़ी मदद मिलती है . ऐसी ही एक अनमोल पोटली से स्थापित लेखिका वंदना गुप्ता जी का यह लिंक लायी हूँ - http://vandana-zindagi.blogspot.com/2011/11/blog-post_05.html
" दो विपरीत लिंगी
दोस्ती हो या प्रेम
हमेशा कसौटी पर ही खड़ा पाया जाता है
क्यूँ समझ नहीं आ पाता है
दोस्ती का जज्बा
नेमत खुदा की
जिसको नवाज़ा है
होगा कोई बाशिंदा
जहान से अलग
खुदा के नज़दीक
यूँ ही तो खुदा को उस पर नहीं प्यार आया है"
बड़ी बात कहना और बड़ी बात सोचना - दोनों में अंतर होता है . यह एक व्यापक सोच है .... और व्यापकता हर किसी के हिस्से नहीं आती . अपनी सोच ही मायने रखती है, अगर हम शरीर का नजरिया रखते हैं तो निःसंदेह हमारे तराजू पर शरीर का बटखरा ही होगा .

कहीं दोस्ती के चीथड़े कहीं प्रेम के पछतावे ... मोनाली जोहरी तुम्हारा प्रेम और मेरे पछतावे...
"जब कभी मैं सोचती हूं...
तुम्हारी वो सितार की झंकार सी बातें...
म्रदु कोमल क्षणों की गवाह बनी रातें...
तुम्हारे किस्से... तुम्हारी हंसी...
कल के स्वप्न... आज के प्रयत्न...
डर के जंगल में रात की रानी सा महकता तुम्हारा सानिध्य...
उस पल मैं चाहती हूं कि ये सब कुछ देर और ठहर जाये...
हो कर तेरी हंसी के घेरों में कैद, मेरा वजूद बेतरह बिखर जाये..." प्यार तो चकोर होता है, सबसे अलग, बेपरवाह - खुद में सिमटा , कभी बनता है, बिगड़ता है ... फिर पछताता है, फिर ...................... यह प्यार तो बस प्यार होता है !
और कहीं ठिठके रिश्ते , ज्वालामुखी की परतों में धधकते ..... बेचैन होकर , टूटकर कहते हैं -
मत रिश्तों की आज दुहाई मुझको दो,
दर्द मिला है बहुत मुझे रिश्ते अपनों से.
कैलाश शर्मा http://sharmakailashc.blogspot.com/2011/06/blog-post_15.html ने कितनी बारीकी से देखा है आज की स्थिति को , कितने स्पष्ट शब्द दिए हैं उनकी व्यथा को . यदि इतने गर्म लावे हैं तो राख को रिश्ता क्यूँ कहना , .......
कहीं आंसू, कहीं हँसी, कहीं प्रकृति का सौन्दर्य , कहीं प्रकृति को झुठलाता इन्सान , कहीं भ्रम, कहीं मिट्टी ........ कितना कुछ बिखरा पड़ा है इस जीने में ! समेटकर मिलती हूँ फिर - जी हाँ , एक अंतराल के बाद...

रश्मि प्रभा

30 टिप्पणियाँ:

संगीता स्वरुप ( गीत ) ने कहा…

बहुत अच्छी प्रस्तुति ... फिर से पढ़ना अच्छा लगा .

सदा ने कहा…

इस बिखराव को समेटने के लिए आपका अवलोकन और प्रयास दोनो ही सराहनीय है बेहतरीन प्रस्‍तुति के लिए आभार ।

Urmi ने कहा…

बहुत सुन्दरता से आपने प्रस्तुत किया है! बढ़िया लगा!

महेन्द्र श्रीवास्तव ने कहा…

बहुत सुंदर लिंक्स सहेजा आपने।
शहीदों को मेरी ओर से भी श्रद्धांजलि

shikha varshney ने कहा…

सबको फिर से पढ़ना अच्छा लगा ..सुन्दर प्रस्तुति.

Maheshwari kaneri ने कहा…

पहले अपनी नजर से पढ़ा था और आज , आप की नजर से पढ़ा है, रश्मि जी ..बहुत अच्छा लगा..आभार

POOJA... ने कहा…

badhiya recap chal raha hai...
zaari rakhen...

चला बिहारी ब्लॉगर बनने ने कहा…

शहीदों को नमन.. चुनिन्दा ब्लॉग-पोस्ट्स का अच्छा सफर!!

Neeraj Kumar ने कहा…

बहुत मेहनत कर रहीं हैं और परिणाम भी शानदार है... आशा है अच्छे और लोकप्रिय सभी ब्लोग्स समेट पाएँगी इन कड़ियों मे...

vandana gupta ने कहा…

सबसे पहले शहीदों को नमन……मेरी पोस्ट को यहाँ स्थान देने के लिये आपकी आभारी हूँ रश्मि जी…………ये आपकी बहुत सुन्दर अवलोकन श्रृंखला चल रही है जिससे एक बार फिर बेहतरीन रचनायें पढने को मिल रहीहैं…………हार्दिक आभार्।

ρяєєтii ने कहा…

It's Too Good...!

रंजू भाटिया ने कहा…

bahut badhiya ...

निवेदिता श्रीवास्तव ने कहा…

बहुत सुंदर लिंक्स .....
शहीदों को मेरी ओर से भी श्रद्धांजलि

रवीन्द्र प्रभात ने कहा…

अच्छी प्रस्तुति ...बेहतरीन,शहीदों को मेरी ओर से भी श्रद्धांजलि !

M VERMA ने कहा…

अवलोकन की सूक्ष्म दृष्टी --- बिखरे को समेटने का सार्थक प्रयास

Kailash Sharma ने कहा…

शहीदों को हार्दिक श्रद्धांजलि...बेहतरीन श्रंखला...मेरी रचना को यहाँ स्थान देने के लिये आभार...श्रंखला की सफलता के लिये हार्दिक शुभकामनायें!

आनंद ने कहा…

कई बार मैं सोंचता हूँ कि ब्लॉग जगत दीदी का कभी कर्ज चुका पायेगा कि नहीं.
दीदी आपको भाव भरे हुए दिल से नमन !

विभा रानी श्रीवास्तव ने कहा…

शहीदों को मेरी ओर से भी नमन और श्रद्धांजलि.... !!
बहुत अच्छी प्रस्तुति.... !

Anju (Anu) Chaudhary ने कहा…

badiya links

नीलिमा शर्मा Neelima Sharma ने कहा…

superb

शिवम् मिश्रा ने कहा…

अमर शहीदों को शत शत नमन !

अविरल चलती रहे ये धारा ।

गिरिजा कुलश्रेष्ठ ने कहा…

रश्मि जी अत्यन्त कठिन किन्तु सार्थक कार्य है यह ।

Vandana Ramasingh ने कहा…

हाथ बढ़ाया दादी माँ ने, जब अपना बचपन छूने को,
ठिठक गयी ममता, आँखों में अपनों की देखा वर्जन को.
कितनी बार झांक कर देखा, कितनी बार भिगोया तकिया,
इतना दर्द नहीं होता, गर वन्ध्या भी कहते सब उसको.

दुखद स्थिति ...मार्मिक रचना कैलाश जी की

सभी लिंक्स अच्छे लगे भूमिका में आपकी पंक्तियां भी अच्छी लगी

मुकेश कुमार सिन्हा ने कहा…

kya kahne hain vandana ke... :)
saare post jaandar!!

kshama ने कहा…

Bahut badhiya links mile!

S.M.HABIB (Sanjay Mishra 'Habib') ने कहा…

सुन्दर बुलेटिन दी...
सादर

Mamta Bajpai ने कहा…

bahut sundar buletin aabhar

Jeevan Pushp ने कहा…

बहुत सुन्दर ...!
आज इस ब्लॉग पे पहली बार आ पाया हूँ !

श्यामल सुमन ने कहा…

मत रिश्तों की आज दुहाई मुझको दो,
दर्द मिला है बहुत मुझे रिश्ते अपनों से.
सुन्दर।
सादर
श्यामल सुमन
09955373288
http://www.manoramsuman.blogspot.com
http://meraayeena.blogspot.com/
http://maithilbhooshan.blogspot.com/

mridula pradhan ने कहा…

bahot achchi lagi.......

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